UN : CAA एक सीमित और केंद्रित कानून है जो पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देता है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और हेट स्पीच को लेकर भारत की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए यह बात कही.. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीएए उन कानूनों की तरह हैं जो अलग-अलग देशों में नागरिकता के लिए मानदंड तैयार करते हैं.
J-K and Ladakh was and will always be India’s integral, inseparable part: Tushar Mehta at UNHRC
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— ANI Digital (@ani_digital) November 11, 2022
कहा कि इस कानून में परिभाषित मानदंड भारत और उसके पड़ोस के लिए विशिष्ट है और ऐतिहासिक संदर्भ और वर्तमान जमीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखता है. जान लें कि जिनेवा में चल रही मानवाधिकार समीक्षा में कई सदस्य देशों ने भारत में CAA को लेकर चिंता व्यक्त की थी. . साथ ही कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न, अविभाज्य हिस्सा था और हमेशा रहेगा
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यह अधिनियम किसी भारतीय की नागरिकता नहीं छीनता
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि इस कानून (CAA) का उद्देश्य भारत के पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के 6 अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई लोगों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भारतीय नागरिकता मिलने में मदद करना है. तुषार मेहता ने कहा कि यह कानून पड़ोसी देशों के धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किये गये लोगों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने में सहयोग करता है. साफ किया कि यह अधिनियम न तो किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता छीनता है और न ही किसी भी धर्म से संबंधित किसी भी विदेशी को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की मौजूदा प्रक्रिया में संशोधन करता है.
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सॉलिसिटर जनरल हेट स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी बोले
श्री मेहता ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर जवाब देते हुए बताया कि भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है. कहा कि किसी भी अन्य स्वतंत्रता की तरह, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रकृति में पूर्ण नहीं है और भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या उसके हित में उचित प्रतिबंधों के अधीन है.
18 नवंबर तक कई देशों के रिकॉर्ड की तहकीकात की जायेगी
उन्होंने कहा कि इन प्रतिबंधों की कल्पना राष्ट्रीय और सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए की गयी है और इन्हें काफी हद तक पूरा करने की आवश्यकता है. मेहता के अनुसार उचित प्रतिबंध लगाने से हेट स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विनियमित करने में मदद मिलती है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की यूनिवर्सल पीरियॉडिक रिव्यू एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों को बाकी सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड की समीक्षा करने का अवसर दिया जाता है. खबर है कि यह समूह सात से 18 नवंबर के दौरान कई देशों के रिकॉर्ड की तहकीकात करेगा.