- पाठ्यक्रम में शामिल होगा पॉक्सो एक्ट, सीबीएसई स्कूलों में फिलहाल नहीं होती पढ़ाई
- कक्षा IX से XII के लिए इन्हें विषयवार पाठ्यपुस्तकों के अंत में जोड़ा गया है
Tarun Kumar Choubey
Ranchi: यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) को राज्यभर के सभी सरकारी विद्यालयों में बाल यौन अपराध (पॉक्सो) की जानकारी दी जाएगी. आगामी शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से पढ़ाई शुरू होगी. छठी से बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को रोकथाम और जागरूकता के महत्व को बताया जाएगा. इस पहल का उद्देश्य युवाओं को ज्ञान के साथ सशक्त बनाना और राज्यभर के शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण को बढ़ावा देना है.
2012 में भारत सरकार द्वारा पॉक्सो अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम का उद्देश्य बच्चों पर हो रहे यौन शोषण का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने और उन्हें यौन अपराधों, उत्पीड़न और अश्लील साहित्य से बचाना है. झारखंड काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (जेसीईआरटी) ने सेंटर फॉर कैटालाइजिंग चेन के सहयोग से छठी से बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम में पॉक्सो अधिनियम को शामिल किया है. इस विषय से संबंधित प्रश्नों को परीक्षा में शामिल किया जाएगा और नए सत्र से नियमित कक्षाएं संचालित की जाएगी.
सहायक निदेशक बांके बिहारी सिंह- आगामी सत्र के लिए पाठ्यक्रम में शामिल किया
जेसीईआरटी के सहायक निदेशक बांके बिहारी सिंह ने कहा कि पहले स्कूलों में लागू हेल्थ एंड वेलनेस पहल के माध्यम से बच्चों को पॉक्सो एक्ट के बारे में जानकारी मिलती थी. इस विषय को आधिकारिक तौर पर आगामी सत्र के लिए पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. फिलहाल इसे वरिष्ठ छात्रों के लिए नियमित कक्षा करवाई जाएगी.
4782 मामले लंबित
झारखंड में 2020 से मार्च 2023 तक यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत कुल 4782 मामले लंबित हैं. हालांकि, इस अवधि के दौरान 4101 मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया गया है. शिक्षा विभाग ने पाठ्यक्रम में पांच विषयों को जोड़कर स्वास्थ्य और कल्याण शिक्षा के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें सड़क सुरक्षा, एक सामाजिक बुराई के रूप में बाल विवाह, दहेज प्रथा, मानव तस्करी और सामाजिक-भावनात्मक कौशल जैसे विषयों को शामिल किया गया है.
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शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने कहा, बच्चे अपने अधिकारों को समझेंगे
शिक्षा सचिव के रवि कुमार ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम से संबंधित विषयों को इस बार पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. इससे बच्चे अपने अधिकारों को समझेंगे. पाठ्यक्रम के अध्याय को बहुत योजनाबद्ध तरीके से बनाए गए हैं, और इस पाठ्यक्रम के अनुसार बच्चों से प्रश्न भी पूछे जाएंगे. इस अभूतपूर्व पहल का उद्देश्य छात्रों को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित करना और एक सुरक्षित और अधिक सूचित समुदाय बनाने में योगदान देना है.