Ranchi : वर्षों से चल रहे दुकानों को अवैध घोषित कर तोडना और सील करने की नोटिस देकर परेशान करना सही नहीं है. निगम को यह सोचना चाहिए कि ऐसी दुकानों से सरकार और निगम को विभिन्न श्रोतों से राजस्व भी मिलता है. यही स्थिति कमोबेश पूरे झारखंड की है. तो क्या पूरे झारखण्ड में व्यापारिक गतिविधियों को बंद कर वीरान कर दिया जायेगा. ऐसे भवनों को तोडना नेशनल वेल्थ का नुकसान है. जिसपर निगम को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. उक्त बातें सोमवार को फेडरेशन चैम्बर के नेतृत्व में अग्रसेन भवन में आयोजित व्यापारियों की आमसभा में कही गयी.
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व्यापारिक प्रतिष्ठान सील नहीं होने दिया जायेगा
व्यापारियों की समस्या को देखते हुए चैम्बर अध्यक्ष धीरज तनेजा ने कहा फेडरेशन चैम्बर इस मामले में अपने व्यापारियों के साथ खड़ा है. किसी भी व्यापारिक प्रतिष्ठान को सील नहीं होने दिया जायेगा. उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की अपील करते हुए व्यापारियों को आश्वस्त किया कि हमें पूर्ण विश्वास है कि राज्य के युवा एवं जुझारू मुख्यमंत्री इस मामले में खुलकर हमारे साथ आएंगे और हमारी समस्याओं के निदान की पहल करेंगे.
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आंदोलन के लिये उपलब्ध रहूंगा- सुबोधकांत
बैठक के दौरान उपस्थित फेडरेशन चैम्बर के को-ऑर्डिनेशन विथ पॉलिटिकल उप समिति की चेयरपर्सन महुआ मांझी ने इस मामले में मुख्यमंत्री से शीघ्र मिलकर समस्याओं के निदान के लिए आश्वस्त किया. पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि मैं जन की समस्याओं पर आंदोलन के लिए मैं हमेशा उपलब्ध हूं, किसी भी प्रतिष्ठान को सील करते समय विरोध के लिए मैं सबसे पहले उपलब्ध रहूंगा. निगम की कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए चैम्बर उपाध्यक्ष दीनदयाल बरनवाल ने कहा कि केवल एक अधिकारी के निर्णय से शहर में व्यापारिक गतिविधियों को शिथिल कर देना उचित नहीं है. क्या नगर आयुक्त ने इस निर्णय में निगम के महापौर, उप महापौर और वार्ड पार्षदों को विश्वास में लिया है. यदि निगम द्वारा अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया गया तब, व्यापारी आंदोलन के लिए विवश होंगे.
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निगम की कार्रवाई से व्यापारियों में आक्रोश
निगम की कार्रवाई से चिंतित व्यापारियों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि अपर बाजार के व्यापारिक प्रतिष्ठान तब से हैं जब नगर निगम का कोई अस्तित्व नहीं था. न ही कोई बिल्डिंग बाई लॉज प्रभावी थी. जिस बिल्डिंग को सील करने की नोटिस दी गयी है, ऐसे सभी भवनों से वर्षो से निगम द्वारा होल्डिंग टैक्स भी लिया जा रहा है. समय के साथ आबादी बढ़ी, ऐसी परिस्थिति में समन्वय बनाकर चीजों को सुव्यवस्थित करने के बजाय निगम द्वारा आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करना कहां तक उचित है. व्यापारियों ने यह भी कहा कि निगम का यह निर्णय हमें किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है. चैम्बर के निवर्तमान अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि अब आरआरडीए क्षेत्र में बने भवनों से भी नक्शा मांगा जा रहा है जबकि भवन निर्माण के समय आरआरडीए अस्तित्व में ही नहीं था.
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बिल्डिंग रेगुलराईजेशन स्कीम लानी चाहिए
चैम्बर महासचिव राहुल मारू ने कहा कि सरकार ने पूर्व में भी नियमितीकरण योजना लायी थी जिसमें फाइन और अन्य प्रावधान व्यवहारिक नहीं थे, जिस कारण अधिक लोग इसका लाभ नहीं उठा सके. व्यापारियों की चिंता को देखते हुए सरकार को अब अधिक विलम्ब नहीं करते हुए बिल्डिंग रेगुलराईजेशन स्कीम लानी चाहिए. इससे लोग अपने भवनों का शुल्क देकर रेगुलराइज करा सकेंगे. जिससे सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी एवं इस समस्या का स्थाई समाधान हो सकेगा.
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ये थे उपस्थित
सोमवार की बैठक में चैम्बर अध्यक्ष धीरज तनेजा, उपाध्यक्ष दीनदयाल बरनवाल, महासचिव राहुल मारू, सह सचिव रोहित अग्रवाल, कोषाध्यक्ष मनीष सर्राफ, पूर्व अध्यक्ष के. के पोद्दार, प्रवीण जैन छाबड़ा, पवन शर्मा, रतन मोदी के अलावा झारखण्ड थोक वस्त्र विक्रेता संघ, रेडीमेड होसियारी वस्त्र विक्रेता संघ, सोना चांदी व्यवसायी समिति के अलावा अपर बाजार के सैकड़ों व्यापारी उपस्थित थे.