Saurav Singh
Ranchi: हजारीबाग ढेंगा गोलीकांड को लेकर दर्ज मामलों की फाइल फिर खुल गई है. घटना में घायल और गोलीकांड पर काउंटर एफआईआर कराने वाले मंटू सोनी द्वारा हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट के बाद सीआईडी जांच के आदेश दिये थे. हाईकोर्ट के आदेश के चार महीने बाद सीआईडी ने ढेंगा गोलीकांड से संबंधित बड़कागांव कांड संख्या 167/15 और 214/16 की जांच शुरू कर दी है. इससे पहले हजारीबाग एसडीजीएम कोर्ट में सीआईडी द्वारा बड़कागांव थाना कांड संख्या 214/16 को टेक ओवर कर लिए जाने की जानकारी दी गई. उसके बाद कांड संख्या 167/15 में रांची सिविल कोर्ट के एडीजे विशाल श्रीवास्तव कोर्ट को सूचित किया गया. सीआईडी के अनुसंधानकर्ता ब्रह्मदेव प्रसाद ने बुधवार को सीआईडी हेडक्वार्टर में बड़कागांव थाना कांड संख्या 214/16 के सूचक मंटू सोनी का बयान दर्ज किया गया.
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हजारीबाग के ढेंगा में 14 अगस्त 2015 को पुलिस-पब्लिक झड़प को लेकर बड़कागांव थाना में दो अलग-अलग मामले दर्ज हुए थे.तत्कालीन एसडीओ अनुज प्रसाद के आवेदन पर कांड संख्या 167/15 किया गया था. जिसमें 64 लोगों को नामजद सहित सैकड़ों अज्ञात को अभियुक्त बनाया गया था. जिसमें उस घटना में घायल मंटू सोनी,संजय राम,श्री चंद राम,सन्नी देवल राम,संतोष राम और जुबैदा खातून को पुलिस ने अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया था. वहीं दूसरी घटना जेल से बंदी आवेदन पत्र के माध्यम से घटना में घायल मंटू सोनी ने कोर्ट परिवादवाद दायर किया था. हजारीबाग एसडीजीएम ने बड़कागांव थाना को मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश के 14 महीने बाद मंटू सोनी के परिवादवाद पर बड़कागांव थाना में कांड संख्या 214/16 दर्ज किया था. पुलिस ने 167/15 में चार्जशीट दायर कर दिया था और 214/16 में क्लोजर रिपोर्ट देकर केस को बंद करने की अनुशंसा कर दी थी. पुलिस के क्लोजर रिपोर्ट पर मंटू सोनी ने एसडीजीएम कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर किया था.
एसडीओ,थानेदार, इंस्पेक्टर ने चलवाई थी गोली- मंटू सोनी
बुधवार को सीआईडी हेडक्वार्टर में दिये अपने बयान में कहा कि मेरा आंदोलन या राजनीतिक दल से कोई संबंध नही था. सड़क जाम होने के कारण वहां फंसा हुआ था. अचानक पुलिस-पब्लिक में झड़प हो होने लगी. वाहनों में आग लगता देख अपनी बाइक को बचाने के लिए पुलिस वालों से आग्रह किया. एसडीओ अनुज प्रसाद, इंस्पेक्टर अवधेश सिंह,रामदयाल मुंडा ने सामने बुलाकर मुझपर गोली चलवा दिया. मुझे दो गोली लगी थी. घायलावस्था में मुझे अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया गया था. पुलिस ने मेरा बयान दर्ज नहीं किया और न इंज्युरी रिपोर्ट लगायी, थाना से लेकर चार्जशीट तक मेरे घायल होने की बात छुपा लिया गया. इसके बाद मेरे द्वारा दर्ज कराये गए कांड संख्या 214/16 में अभियुक्तों को बचाते हुए एकतरफा जांच कर बनाकर क्लोजर रिपोर्ट सौंप दिया गया.
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मानवाधिकार आयोग ने सभी घायलों को ढाई-ढाई लाख मुआवजा देने का राज्य सरकार को दिया है आदेश
ढेंगा गोलीकांड के सभी छह घायलों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम ने 16 अगस्त 2022 को रांची में धुर्वा स्थित ज्यूडिशियल एकेडमी में सुनवाई के दौरान घटना में घायल जुबैदा खातून,संजय राम,सन्नी देवल,संतोष राम, श्रीचंद राम और मंटू सोनी को ढाई-ढाई लाख मुआवजा देने का आदेश दिया था. राज्य सरकार की तरफ से उपस्थित गृह सचिव राजीव अरुण एक्का,आईजी अखिलेश झा,सीआईडी एसपी कार्तिक एस की उपस्थिति में राज्य सरकार द्वारा छह महीने के अंदर मुआवजा भुगतान करने की बात कही गई थी.