Patna : आईआरसीटीसी घोटाला मामले में बिहार के डिप्टी सीएम सह हेल्थ मिनिस्टर तेजस्वी यादव की जमानत निरस्त करने की सीबीआई की मांग पर आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सीबीआई की अर्जी नामंजूर करते हुए तेजस्वी की जमानत बरकरार रखी है.
सुनवाई के दौरान तेजस्वी के वकीलों ने केंद्र सरकार पर विपक्ष के खिलाफ सीबीआई व ईडी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. वहीं सुनवाई के दौरान सीबीआई ने भी अपना पक्ष रखा. सीबीआई ने कहा कि तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोटाले की जांच कर रहे अधिकारियों को धमकी दी थी. ऐसे वह जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे, इसलिए उनकी जमानत निरस्त की जाए. सुनवाई के बाद कोर्ट ने तेजस्वी यादव को फटकार लगाते हुए हुए कहा कि वे सार्वजनिक रूप से बोलते वक्त जिम्मेदाराना व्यवहार करें और उचित शब्दों का इस्तेमाल करें. कोर्ट ने कहा कि जमानत निरस्त करने के कोई ठोस आधार नहीं पाए गए. कोर्ट ने सीबीआइ की अर्जी नामंजूर करते हुए तेजस्वी की जमानत बरकरार रखी है.
इसे भी पढ़ें : Breaking : लोहरदगा में किस्को प्रखंड के बीडीओ अनिल मिंज 20 हजार घूस लेते गिरफ्तार, रांची एसीबी की कार्रवाई
वहीं सुनवाई के दौरान तेजस्वी के वकीलों ने कहा कि विपक्ष के नेता होने के नाते केंद्र सरकार की गलत नीति और कार्यों का विरोध करना उनका फर्ज है. केंद्र सरकार सीबीआई व ईडी का दुरुपयोग कर रही है.
क्या है IRCTC घोटाला
IRCTC घोटाला 2004 में लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है. दरअसल, रेलवे बोर्ड ने उस वक्त रेलवे की कैटरिंग और रेलवे होटलों की सेवा को पूरी तरह IRCTC को सौंप दिया था. इस दौरान झारखंड के रांची और ओडिशा के पुरी के बीएनआर होटल के रखरखाव, संचालन और विकास को लेकर जारी टेंडर में अनियमिताएं किए जाने की बातें सामने आई थीं. ये टेंडर 2006 में एक प्राइवेट होटल सुजाता होटल को मिला था. आरोप है कि सुजाता होटल्स के मालिकों इसके बदले लालू यादव परिवार को पटना में तीन एकड़ जमीन दी, जो बेनामी संपत्ति थी. इस मामले में भी लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत 11 लोग आरोपी हैं.
इसे भी पढ़ें : पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ चुनाव से पहले पत्थरबाजी और बमबाजी,तीन घायल