- 2019 से नगर पंचायत कर रहा है साप्ताहिक हाट की नीलामी, पहले बाजार समिति करता था नीलामी
- 17,54,200 रुपये में इस वर्ष हुई है साप्ताहिक हाट की नीलामी
- दुकानदारों से वसूले जाते हैं 50 से 100 रुपये
Ashish Tagore
Latehar : शहर के प्राचीन शिव मंदिर के पास बाजारटांड़ में प्रति मंगलवार को साप्ताहिक हाट लगता है. इस हाट सैरात से सरकार को प्रति वर्ष लाखों रुपये की आमदनी होती है. इस वर्ष भी इस हाट की नीलामी नगर पंचायत के द्वारा 17 लाख 54 हजार 200 रुपये में की गयी है. सर्वाधिक बोली लगाने वाले शिक्षित बेरोजगार श्रमिक समिति को उक्त हाट आवंटित की गयी है. कहना गलत नहीं होगा कि लाखों रुपये राजस्व देने वाले इस मंगलवारीय हाट में व्यापारियों के लिए सुविधाएं नग्न है. न तो बैठने की माकूल जगह है और ना ही सर छिपाने की जगह है. पहले से बनाये गये शेड जर्जर हो चुके हैं. लातेहार का साप्ताहिक मंगलवारीय हाट काफी पुराना है. लोग बताते हैं कि अंग्रेजों के जमाने से यहां हाट लग रहा है. इस हाट में लातेहार के अलावा चंदवा, बालूमाथ, हेरहंज, सरयु व मनिका प्रखंडों के व्यापारी व किसान अपने उत्पादों को बेचने के लिए आते हैं.
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वर्ष 2019 से नगर पंचायत कर रहा है हाट की नीलामी
साल 2019 से नगर पंचायत, लातेहार के द्वारा मंगलवारीय साप्ताहिक हाट की नीलामी की जा रही है. इससे पहले बाजार समिति के द्वारा इस हाट की नीलामी करायी जाती थी. बाजार समिति के द्वारा ही बाजार परिसर में शेड का निर्माण तकरीबन 15 से 17 साल पहले कराया गया था. आज इस शेड की हालत जर्जर हो गयी है. शेड की छत टूट गयी है. फर्श भी खराब हो चुकी है. शेड के पीलर जर्जर हो चुके हैं. पीलरों का छड़ दिखायी पड़ने लगा है. शेड कभी भी ध्वस्त हो सकता है और इससे जानमाल की क्षति हो सकती है.
अस्थायी छत के नीचे व्यापारी लगाते हैं अपनी दुकान
साप्ताहिक हाट में व्यापारियों के लिए पर्याप्त शेड नहीं है. इस कारण यहां आने वाले व्यापारी अपने खर्च पर अस्थायी रूप से झोपड़ीनुमा छत के नीचे अपने उत्पादों की क्रय-विक्रय करते हैं. ऐसे व्यापारियों को सबसे अधिक परेशानी गर्मी व बरसात के दिनों में होती है. अचानक आने वाले आंधी- तूफान व बारिश के कारण उनका अस्थायी प्लास्टिक व तिरपाल का छत उड़ जाता है.
क्या कहते हैं व्यापारी
मंगलवारीय साप्तहिक हाट में अपनी दुकान लगाने वाले सुनील व विजय ने कहा कि नगर पंचायत के द्वारा साप्ताहिक हाट में वसूली करायी जाती है. ठेकेदार के द्वारा 50 से 100 रुपये तक की छोट-बड़े व्यापारियों से वसूली की जाती है. लेकिन व्यापारियों को यहां कोई सुविधा नहीं दी गयी है. न तो बाजार में बैठने के लिए कोई स्थान बनाया गया है और ना ही सिर छुपाने के लिए कोई जगह है. पहले से जो शेड हैं जर्जर हो गये हैं और उन पर दबंग किस्म के थोक व्यवसायियों का कब्जा है. नगर पंचायत को साप्ताहिक हाट से राजस्व मिलता है. यहां व्यापारियों के लिए सुविधाएं बहाल करानी चाहिए.
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