- तपती गर्मी में तीन किलोमीटर चलकर नदी की पानी से बुझाते हैं प्यास
- पांच साल से पानी की किल्लत से जूझ रहे भौंरा के तीन इलाके
Ranjit Kumar Singh
Dhanbad : यहां नालियों के ऊपर नालियां बनाई जा रही है. विकास कार्य पूरी गति के साथ हुए हैं. लेकिन यहां अब तक पीने का पानी मयस्सर नहीं है. भौंरा के तीन इलाकों की आबादी पांच साल पहले तक पीट वाटर को फिल्टर कर पीने योग्य बनाते थे, लेकिन अब पीट वाटर बंद चुका है, अब इस तपती गर्मी में चार किलोमीटर पैदल या गाड़ी से चलकर जाते हैं, नदी से पानी लेते हैं और इसी से प्यास बुझाते हैं. यहां सड़क और नालियों के बनाने की बात इसलिए हो रही है कि विकास के ऐसे कामों में लाखों का फंड आता है और लाखों रुपये के कमीशन भी बनते हैं, अब मोहल्ले या बस्ती में एक नल लगाने पर तो सिर्फ हजारों का फंड आएगा और इसमें क्या खाक कमीशन मिलेगा. सो बेचारे… भौंरा 16 नंबर, 6 नंबर और 7 नंबर के लोग नदी के भरोसे ही रहें. जब तक पेयजल की कोई बड़ी परियोजना यहां के लिए नहीं आ सके, क्योंकि मोटे कमीशन के बिना तो विकास की सोच ही अब बेमानी है. इस इलाके में एक कुआं भी है, जिसका पानी हर साल सूरज की बढ़ती तपिश देखते ही तल में छिप जाता है. इस साल भी कुएं अपनी आदत से बाज नहीं आएं हैं और पानी तल में जाकर बैठ चुका है.
सबसे बड़ी समस्या पानी की
कमला देवी ने कहा कि 16 नंबर बस्ती में सबसे बड़ी समस्या पानी की है, जो पिछले पांच वर्षों से चला आ रहा है. कई बार यह समस्या जनप्रतिनिधियों को बताई गई पर समस्या का निदान आज तक नहीं हुआ. बस कमीशन के चक्कर में विकास के नाम पर जनप्रतिनिधियों द्वारा क्षेत्र में नाली के ऊपर नाली और सड़क के ऊपर सड़क बनायी जा रही है, लेकिन जीवन जीने के लिए दो बूंद पानी की व्यवस्था नहीं कि जा रही है. प्यास बुझाने और रोजमर्रा का कार्य के लिए यहां के लोगों को 3 से 4 किलोमीटर पैदल चल कर दामोदर नदी जाना पड़ता है. इससे लोगों में जनप्रतिनिधियों के प्रति काफी आक्रोश है.
पानी के लिए त्राहिमाम
सुशीला देवी ने कहा कि भौंरा के तीन इलाके जिसमें हजार से ऊपर की आबादी है पिछले पांच वर्षों से पानी के लिए त्राहिमाम कर रही है. यही नहीं हजारों की आबादी में मात्र एक कुआं भी है तो वह गर्मी के दस्तक देते ही सूख गया है. इससे यहां के लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. बावजूद इसके इस समस्या का निदान करने की सुध जनप्रतिनिधियों को नहीं है. उन्हें सिर्फ वोट चाहिए.
समस्या का निदान नहीं
अर्जुन यादव ने कहा कि अगर जल्द भौंरा 16 नंबर, छह नंबर और सात नंबर में पानी की समस्या का निदान नहीं हुआ तो यहां के बच्चे शिक्षा ग्रहण से भी वंचित हो जाएंगे. क्योंकि यहां के बच्चों को रात हो या दिन पानी ढुलाई के अलावा दूसरा किसी कार्य का मौका नहीं मिलता है, क्योंकि जल ही जीवन है. उन्होंने जनप्रतिनिधियों से भी इस समस्या का जल्द निदान की मांग की है.
सूरज कुमार ने कहा कि 16 नंबर में विकाश के नाम पर सभी कार्य हो रहे हैं, लेकिन यहां के लोगों को जीवन जीने के लिए जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता है, उसका समाधान ही नहीं हो रहा है.
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