इन्डक्शन प्रोग्राम के तहत UGC-HRDC मोरहाबादी में नोइंग चाइल्ड साइकोलॉजी पर अपने व्याख्यान के दौरान यह बातें डॉ विनय भरत ने कहीं.
Ranchi : आज जो छात्र विश्वविद्यालय में आये हैं, समाज ने उन्हें विद्यालय के स्तर पर काफी काट- छांट कर भेजा है. हमें उन्हें पढ़ाने के पहले उनके बचपन को पढ़ना होगा. आज 20 वीं गुरु दक्षता इन्डक्शन प्रोग्राम के तहत UGC-HRDC मोरहाबादी में नोइंग चाइल्ड साइकोलॉजी पर अपने व्याख्यान के दौरान यह बातें डॉ विनय भरत ने कहीं.
आत्म विश्वास जिस उम्र में सबसे ज्यादा चाहिए, उसी उम्र में सबसे ज्यादा अभाव पैदा कर देता है
उन्होंने कहा कि बच्चों के नैसर्गिक गुणों,जिनमें उनका साहसी और ईमानदार होना, वर्तमान में रहना खास बिंदु है. उसे समाज धीरे-धीरे तोड़ता जाता हैऔर विद्यालय से महाविद्यालय तक आते-आते उसकी ज़िन्दगी में 1000 हां..के मुकाबले 1 लाख ना…को आरोपित कर ज़िन्दगी को नकारात्मक बना देता है. जिससे उसमें आत्म विश्वास जिस उम्र में सबसे ज्यादा चाहिए, उसी उम्र में उसका सबसे ज्यादा अभाव पैदा कर देता है.
कहा कि अधिकांश अभिभावकों को 3F का नियम पालन करना चाहिए. अभिभावक अपने निर्णय में फर्म रहें, अपने निर्णय में फेयर रहें. बच्चों पर ज़बरदस्ती कर काम कराने से अच्छा है,आप दोस्त बनकर काम करायें और सिखायें..
हमलोगों के समय में उत्तर पुस्तिकाओं का कड़ा मूल्यांकन होता था
डॉ विनय भरत ने कहा कि कॉलेज में पहले सेमेस्टर में अंक का स्तर अगर थोड़ा कड़ाई पूर्वक देखा जाये तो बच्चे बाद के सेमेस्टर में उस बेंच मार्क को पूरा करने के लिए अत्यधिक मेहनत करेंगे. लेकिन उसके ठीक उलट अगर उनको प्रारम्भ से ही उदारवादिता के साथ अंक दिये जायें तो बाद के सेमेस्टर में वे बेमानी मांगों पर आंदोलनरत हो जाया करेंगे. कहा कि हमलोगों के समय में उत्तर पुस्तिकाओं का कड़ा मूल्यांकन का मुख्य कारण था कि हम आज के बच्चों के अंक पर जोर से ज्यादा जोर ज्ञान पर देते थे.
पूरे सत्र में डॉ विनय भरत ने विश्वविद्यालय के छात्रों में उनके खो गये नैसर्गिक गुणों (वर्तमान में रहना, खुश रहना, क्रिएटिव होना, निर्भीक होना) को वापस लाने पर जोर दिया. कोर्स कॉर्डिनेटर डॉ सुनीता कुमारी ने विषय प्रवेश कराया.