Faisal Anurag
इंडिया गेट के ऐतिहासिक अमर जवान ज्योति जो कि 1972 से प्रज्वलित है उसे बुझाया जा रहा है. नरेंद्र मोदी की सरकार अतीत से पीछा छुड़ाने और ऐतिहासिक धरोहरों को बदलने के अभियान को एक राजनैतिक विवाद का रूप देती रही है.अमर जवान ज्येति को युद्ध स्मारक में प्रज्वलित ज्येति में विलीन किया जा रहा है. पिछले आठ सालों में जिस तेजी से इतिहास को बदलने या फिर उसके लिखे जाने तथा एक नए भारत के नाम पर अतीत की सरकारों के निर्माणों को खत्म किए जाने की प्रवृति जारी है. केंद्र सरकार कह रही हे कि इंडिया गेट से हटा कर अमर जवान ज्योति को युद्ध स्मारक की ज्योति में समाहित कर दिया जा रहा है. यानी युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के लिए केवल एक ज्योति प्रज्वलित रहेगी. सरकार का तर्क है कि दो-दो ज्योतियों को प्रज्वलित रखने में आने वाले खर्च को कम करने के लिए वह ऐसा कर रही है.
विपक्ष के नेताओं ने इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति को बुझने या फिर हटाने का तीखा विरोध किया है. इसका जबाव यह दिया जा रहा है कि सात दशकों तक एक युद्ध समारक नहीं बनाने वाले अब इस तरह का विरोध कर रहे हैं. 1972 में अमर जवान ज्योति का लोकार्पण तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. 1971 के शहीदों की स्मृति में इस स्मारक का निर्माण किया गया था. तब से ही यह एक पवित्र धरोहर के रूप में भारतीय जनमानस का हिस्सा बन गया था. 2019 में बने युद्ध समारक के बाद से ही यह बात होने लगी थी कि जल्द ही अमर जवान ज्योति को भी हटा दिया जाएगा. सेंट्रल विस्टा निर्माण के बाद तो संसद का ही नहीं बल्कि लुटियन जोन के सबसे ताकतवर इलाके की पूरी छवि बदली जा रही है. अगले कुछ ही समय में राष्ट्रपति वाले इलाके की पुरानी पहचान बदल जाएगी और नयी दिल्ली में एक सत्ता की नयी ताकत बन कर उभरेगी. जिसमें अतीत की निरंतरता रहेगी या नहीं यह सवाल है. आमतौर पर पूरी दुनिया में ऐतिहासिक धरोहरों और स्मारकों वाले इलाकों को सुरक्षित रखने की परंपरा है. लेकिन दिल्ली जो पिछले 900 सालों में सात बार बनी और उजड़ी एक नए बदलाव की ओर ले जायी जा रही है.
लेकिन अमर जवान ज्योति का मामला उतना सीधा भी नहीं है. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.राहुल गांधी ने ट्वीट किया है : बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा.कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं.हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे! कांग्रेस के ही लोकसभा सदस्य मनीष तिवारी ने इतिहास से खिलवाड़ करने की मोदी सरकार की प्रवृति पर टिप्पणी की है और अमर जवान ज्योति को हटाए जाने को इतिहास के पुनर्लेखन से जोड़ कर देखा है. दूसरी ओर भाजपा के नेताओं ने केंद्र के निर्णय का पक्ष लेते हुए कांग्रेस के छह दशकों के शासन काल पर टिप्पणी की है.
नेशनल वार मेमोरियल बनने के समय से ही अमर जवान ज्योति स्थल को लेकर सवाल उठाए गए थे. तब सेना ने एक बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि अमर जवान ज्योति जारी रहेगी. क्योंकि यह भारतीय इतिहास का एक अविभाज्य हिस्स है.यह वही अमर जवान ज्योति स्थल है जहां तीनों सेनाओं के प्रमुख के अलावे देश दुनिया से आने वाले मेहमान सिर नवाते रहे हैं.
युवा पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने इस सेदर्भ में सोशल मीडिया पर लिखा है ”” ऐतिहासिक सनक ऐसी है कि इंडिया गेट की ‘अमर जवान ज्योति’ बुझा दी जा रही है, जलियांवाला बाग की दीवारें मिटाकर फ़ाउंटेन और साउंड शो लगा दिए जा रहे हैं. काशी के सदियों पुराने मंदिर तोड़कर ईंट और सीमेंट के नए कॉम्प्लेक्स बना दिए जा रहे हैं. आधुनिक भव्यता और ऐतिहासिक धरोहरों में अंतर होता है. नहीं तो ऐतिहासिक धरोहरों और पुरातात्विक साक्ष्यों के नाम पर सिर्फ़ एलोरा की गुफाएं ही बचेंगीं.ऐतिहासिक स्थलों को Merge करने और नॉर्मल चीजों को Merge करने में क्या अंतर है. ऐतिहासिक स्थल कोई कम्पनी नहीं हैं. ऐतिहासिक स्थलों से छेड़छाड़ ना हो, वे आगे की पीढ़ियों के अध्ययन के लिए संरक्षित रहें, यादों के लिए संरक्षित रहें, सीख के लिए संरक्षित रहें.”” पुरातात्वकिता से खिलवाड़ अपने ही इतिहास से छेड़छाड़ है.