Ranchi : झारखंड राज्य अवर वन सेवा संघ के प्रतिनिधियों ने मंत्री हफीजुल हसन अंसारी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा. अपनी समस्याओं से अवगत कराया. मंत्री को बताया कि वन विभाग के विभागाध्यक्ष द्वारा झारखंड राज्य अवर वन क्षेत्रकर्मी संवर्ग नियमावली 2014 में निहित प्रावधानों के विरुद्ध वनपाल नियुक्ति नियमावली 2020 बनायी जा रही है. 2014 की नियमावली में भी संशोधन करने का प्रयास वन विभाग के विभागाध्यक्ष द्वारा किया जा रहा है, जो गलत है. इस संशोधन एवं नई नियमावली के बनने से वनरक्षियों की प्रोन्नति प्रभावित हो रही है एवं भविष्य अंधकारमय होता दिख रहा है. 2014 की नियमावली में स्पष्ट प्रावधान है कि वनपाल के पद शत प्रतिशत प्रोन्नति के होंगे. ऐसे में नई नियमावली बनाकर वनपाल के पदों में सीधी भर्ती करना गलत व नियम विरुद्ध है. साथ ही नेशनल फॉरेस्ट कमीशन की अनुशंसा के विपरीत भी है. नियमावली में संशोधन एवं नई नियमावली बनाने की बजाए वनपाल के रिक्त पदों को वर्तमान में कार्यरत अनुभवी व दक्ष वनरक्षियों के द्वारा भरा जाय. मंत्री ने आश्वासन दिया कि उक्त समस्याओं से कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराएंगे. साथ ही निराकरण हेतु विधि सम्मत उपाय किया जायेगा।
इसे भी पढ़ें – ICC टी-20 वर्ल्ड कप : टीम इंडिया के बाहर होने से दो सौ करोड़ रुपये का नुकसान
नियमावली में कोई ऐसा संशोधन नहीं किया जाये जिससे वनरक्षियों की प्रोन्नति प्रभावित हो
संघ के राज्य मीडिया प्रभारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि वनरक्षी नियुक्ति नियमावली 2014 का निर्माण तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में किया गया था. उक्त नियमावली बनाते वक्त इस बात का ख्याल रखा गया कि वनरक्षी की प्रोन्नति प्रभावित ना हो एवं उनको सेवा काल अवधि में न्यूनतम 3 प्रोन्नति मिले. इसके लिए प्रावधान किया गया. वन विभाग में पहले ऐसा देखा जाता रहा है कि अवर संवर्ग वनकर्मी को उनकी सेवा अवधि में एक भी प्रोन्नति नहीं मिल पायी. सेवानिवृत्ति भी मूल पद में हो गयी. इन्हीं बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नियमावली को बनाया और यह नियमावली बनाना ऐतिहासिक कदम साबित हुआ. उसी नियमावली के आधार पर झारखंड में पहली बार 2204 वनरक्षियों की नियुक्ति हुई. आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार है. ऐसे में उनसे मांग है कि 2014 की नियमावली में कोई ऐसा संशोधन नहीं किया जाये और ना ही कोई नई नियमावली बनाई जाए, जिससे वनरक्षियों की प्रोन्नति प्रभावित हो और उनका भविष्य अंधकार में हो.
इसे भी पढ़ें – खान विभाग की टीम ने डिपो में की छापेमारी