Jamshedpur : हेमंत सरकार ने शहीदों का सपना अबुआ दिशुम रे अबुआ राज को चकनाचूर कर दिया. यह आरोप आदिवासी सेंगेल अभियान ने लगाया है. इसके विरोध में आज आदिवासी सेंगेल अभियान ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का चार राज्यों झारखंड, बिहार, बंगाल, ओडिशा और असम में पुतला दहन किया. जमशेदपुर में करनडीह बोदरा टोला में मुख्यमंत्री का पुतला जलाया गया. अभियान के बिमो मुर्मू ने बताया कि झामुमो ने लंबे समय तक झारखंड में राज किया. इसमें पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाया गया और इससे शिबू सोरेन-हेमंत सोरेन के परिवार को लाभ हुआ है. झामुमो सरकार ने झारखंडी आदिवासियों के लिए एक भी नीतिगत काम नहीं किया है. हेमंत सरकार ने 2021 की जनगणना में सरना आदिवासी धर्म बिल को राज्यपाल के बिना हस्ताक्षर से केंद्र को भेजा, जो सरना धर्म कोड को लटकाने का काम किया है.
सीएनटी-एसपीटी की रक्षा में भी विफल है सरकार
संताली को हिन्दी के साथ झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने और हो, मुंडा, कुड़ूख, खड़िया भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने, झारखंडी डोमिसाइल बनाने और अन्य संवैधानिक कानूनी अधिकारों की रक्षा करने, सीएनटी एवं एसपीटी कानून की रक्षा करते हुए वीर शहीदों सिदो मुर्मू और बिरसा मुंडा के वंशजों को सम्मान, सुरक्षा और समृद्धि के लिए ट्रस्ट के गठन पर चुप है. हेमंत सरकार असम-अंडमान आदि के झारखंडी आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति एसटी का दर्जा प्रदान करने के अलावे शहीद सिदो मुर्मू के वंशज रामेश्वर मुर्मू और रूपा तिर्की के संदिग्ध मौतों की सीबीआई जांच पर चुप है. पुतला दहन में किसून हांसदा, बिमो मुर्मू, भगीरथी मुर्मू, बिरसा मुर्मू, अर्जुन मुर्मू, सालखन मुर्मू जूनियर, करन मुर्मू, सुखलाल मुर्मू आदि शामिल थे.