Jamshedpur : आमरा बंगाली पार्टी की ओर से सोमवार को मातृभाषा दिवस के मौके पर साकची गोलचक्कर पर भाषा आंदोलन में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान नमन गीत गाया गया. पार्टी की केन्द्रीय कमिटी के सदस्य सह पूर्व प्रत्याशी अंगद महतो ने बताया कि 21 फरवरी 1952 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में भाषा आंदोलन हुआ था. जिसमें पुलिस की गोली से सफीउर रहमान, रफीक अहमद, अब्दुल जब्बार, अदुस सलाम एवं अबुल बरकत समेत कई लोग शहीद हुए थे. उक्त सभी की याद में शहीद स्तंभ बनाया गया. जहां सभी लोगों ने बारी-बारी से पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि मातृभाषा से लोगों को पहचान मिलती है लेकिन इसे मिटाने की कोशिश हो रही है. जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा.
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बांग्ला को राजभाषा का दर्जा के लिए जारी रहेगा आंदोलन
सभा में उपस्थित सभी लोगों ने शपथ लिया कि जबतक झारखंड में बांग्ला भाषा को राजभाषा का दर्जा प्राप्त नहीं होता है, बांग्ला संस्कृति एवं झारखंड के स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होती है, तब तक आमरा बांगाली पार्टी आंदोलन करती रहेगी. अगर आमरा बांगाली पार्टी की मांगें पूरी नहीं होती हैं तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. जिसकी जम्मेदारी राज्य सरकार एवं स्थानीय प्रशासन की होगी. इस दौरान सरकार से छह सूत्री मांगों को पूरा करने की मांग की गई. जिसमें राजभाषा का दर्जा, सभी विद्यालय,विश्वविद्यालय एवं शिक्षा प्रतिष्ठानों में बांग्ला पुस्तक एवं बांग्ला शिक्षक की व्यवस्था करना, सभी सरकारी एवं गैर सरकारी कार्य बांग्ला में करना, बस स्टैंड एवं रेल स्टेशन में बांग्ला में उद्घोषणा करना तथा बोर्ड लगाना, स्थानीय लोगों को शत प्रतिशत नौकरी देना एवं कृषि को उद्योग का दर्जा देना शामिल है.
श्रद्धांजलि सभा में ये लोग थे मौजूद
आशीष नाग चौधरी, सरायकेला-खरसांवा के जिला सचिव तापस महतो, ललित मोहन महतो, गोर मोहन गुहा, तडि़त बनर्जी, श्यामा प्रसाद महतो, नरेंद्र नाथ महतो, कृष्णपद सिंह, जगन्नाथ सिंह, बंगाली महिला समाज से रेखा महतो, शिखा महतो, सपना गुहा सहित अन्य शामिल थे.
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