Jamshedpur (Vishwajeet Bhatt) : विधायक सरयू राय की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास पर लगाए गए तमाम आरोपों पर भाजपा हमलावर हो गई है. आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा के महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव ने कहा कि खाद्य आपूर्ति मंत्री रहते स्वघोषित कट्टर ईमानदार सरयू राय व उनके कुछ निकटस्थ लोगों ने आहार पत्रिका के प्रकाशन व आउट बाउंड डायलिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता की है. एसीबी द्वारा निगरानी से जांच की अनुमति मांगने संबंधित निर्णय स्वागत योग्य है. जनता की गाढ़ी कमाई लूटने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई जरूर सुनिश्चित होनी चाहिए. उन्होंने इस मामले पर पूर्व में दर्ज कराई गई शिकायत पर कार्रवाई की मांग की है.
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सरयू राय ने मनोनयन पर झारखंड प्रिंटर्स को काम दिलवाया : गुंजन यादव
गुंजन यादव ने कहा कि मंत्री पद पर रहते हुए सरयू राय ने अपनी विभागीय पत्रिका आहार के प्रकाशन के लिए मनोनयन के आधार पर झारखंड प्रिंटर्स का चयन करवाया. झारखंड सरकार की वित्तीय एवं कार्यपालिका नियमावली कहती है कि 15 लाख से अधिक की राशि से होने वाले कार्य के लिए निविदा जरूरी है. इसके बावजूद पूर्व मंत्री सरयू राय ने मनोनयन पर झारखंड प्रिंटर्स को काम दिलवाया. मनोनयन पर काम देने के लिए वित्तीय नियमावली के नियम 235 को शिथिल करने के लिए नियम 245 का सहारा लेना पड़ता है. साथ ही वित्त विभाग और कैबिनेट की सहमति जरूरी होती है, लेकिन सरयू राय ने न तो वित्त विभाग से सहमति ली और न ही कैबिनेट से. अपने स्तर से ही झारखंड प्रिंटर्स को काम दे दिया.
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सरकारी राशि का हुआ है गबन
गुंजन ने कहा कि जनसंपर्क विभाग राज्य सरकार के हर विभाग के प्रचार-प्रसार का काम करता है. लेकिन मंत्री रहते उन्होंने अपने विभाग के लिए अलग से पत्रिका का प्रकाशन कराया. इसके पीछे एकमात्र उद्देश्य सरकारी राशि का गबन करना था. बिना टेंडर के आहार पत्रिका का प्रकाशन कराया गया. वित्तीय अनियमितता के उद्देश्य से तत्कालीन विभागीय मंत्री सरयू राय ने अपने ही पीए आनंद कुमार को विशेषज्ञ कार्यकारी संपादक नियुक्त कर दिया. साथ ही आनंद कुमार से टेलीफोनिक बातचीत के आधार पर झारखंड प्रिंटर्स को हर माह 2,61,793 कॉपी आहार पत्रिका छापने का ऑर्डर दे दिया गया.
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अनुभवहीन झारखंड प्रिंटर्स को दिया काम
गुंजन के मुताबिक झारखंड प्रिंटर्स युगांतर प्रकृति की केवल 5000 कॉपी छापी जाती थी. वितरण के नाम पर उसका अनुभव सिर्फ युगांतर प्रकृति पत्रिका को संस्था के कार्यालय तक पहुंचाना था. राज्य में पत्रिका के वितरण का उसका कोई अनुभव नहीं था. इसके बावजूद 5000 कॉपी छापने का अनुभव रखने वाले झारखंड प्रिंटर्स को 2,61,793 कॉपी हर माह छापने का काम दे दिया गया. झारखंड प्रिंटर्स ने अपने काम के अनुभव के बारे में बताया कि उसने युगांतर प्रकृति नामक पत्रिका का प्रकाशन किया है. मालूम हो कि युगांतर प्रकृति के मुख्य संरक्षक सरयू राय और संपादक उनके ही पीए आनंद कुमार हैं. ऐसे में इस गड़बड़ी के बारे में समझना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है.
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बाबा कंप्यूटर्स को कैसे मिला काम?
गुंजन ने कहा कि एक अन्य मामले में मंत्री रहते सरयू राय ने 2016 में बाबा कंप्यूटर्स, रांची को काम दिया था. कंपनी का काम था खाद्य आपूर्ति विभाग की उपलब्धियों को टेलीफोन संदेश के माध्यम से लाभुकों तक पहुंचाना. प्रति कॉल कंपनी 81 पैसे चार्ज करती थी, जबकि यही काम सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मात्र 10 पैसे में करवाता था. सरकार के प्रचार-प्रसार का काम सूचना एवं जनसंपर्क विभाग करता है, लेकिन एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए यह काम खाद्य आपूर्ति विभाग खुद करता था. वहीं, चार कंपनियों ने इसमें हिस्सा लिया था. चार में से दो कंपनी बाबा कंप्यूटर्स और जनसेवा डॉट ऑनलाइन का मालिक एक ही आदमी था, जिसका नाम रितेश गुप्ता है. महालेखाकार ने भी इसमें गड़बड़ी मानते हुए आपत्ति दर्ज की थी. यह एक तरह से सरकारी राशि के दुरुपयोग व गबन का मामला है.
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