Jamshedpur : कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को बैंकों के विरुद्ध पत्र लिखा. विदित हो कि पत्र में विभिन्न बैंकों द्वारा ई-कॉमर्स कंपनियों को नियमविरुद्ध सहयोग करने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच कर कार्रवाई करने की मांग की गई है. इस संबंध में कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने कहा कि देश के विभिन्न सरकारी व प्राइवेट बैंक अमेज़न व फ्लिपकार्ट सहित अन्य अनेक ई-कॉमर्स पोर्टल पर सामान खरीदने हेतु क्रेडिट और डेबिट कार्ड के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान पर 10 प्रतिशत कैशबैक और अन्य सुविधाएं देता हैं. जो ऑफलाइन बाजार से माल खरीदने वाले ग्राहकों को नहीं मिलता. जिससे असमान स्तर का व्यापारिक वातावरण का निर्माण होता है. उन्होंने देश के ऑफलाइन व्यापार को बर्बाद कर रहे इस सबसे गंभीर मामले की तत्काल समयबद्ध सरकार से जांच करने की मांग की है.
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बैंकों की मिलीभगत देश के बैंकिंग सिस्टम की एक बड़ी चूक
मालूम हो कि सोन्थालिया ने इसे बैंकों और ई-कॉमर्स कंपनियों का मिला जुला खेल बताया. साथ ही इसे एफडीआई नीति और प्रतिस्पर्धा कानून का घोर उल्लंघन करार दिया. वहीं, ई-कॉमर्स दिग्गजों के साथ बैंकों की मिलीभगत को देश के बैंकिंग सिस्टम की एक बड़ी चूक बताया. बैंकों के इस तरह के अनुचित व्यवहार से वैसे आम लोग जो ऑफ़लाइन दुकानों से खरीदारी करते है वंचित रह जाते है. इसका सीधा असर देश के व्यापार पर पड़ रहा है.
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बैंकों का ऐसा कार्य स्पष्ट रूप से व्यापारियों के समूहों के बीच करता है भेदभाव
उल्लेखनीय है कि सोंथालिया ने सवाल करते हुए कहा की आखिर बैंक इस तरह का भेदभाव कैसे कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि बैंकों का ऐसा कार्य स्पष्ट रूप से व्यापारियों के दो समूहों के बीच भेदभाव करता है. जो भारत के संविधान की प्रस्तावना का उल्लंघन है, जो समानता की गारंटी देता है. बैंकों का यह कृत्य उपभोक्ताओं को ऑफ़लाइन दुकानों से सामान खरीदने के लिए प्रतिबंधित करता है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 301 का भी उल्लंघन है. भारत का संविधान जो देश में व्यापार और वाणिज्य की स्वतंत्रता की गारंटी देता है का भी उल्लंघन है. प्रथम दृष्टया, यह देश की बैंकिंग प्रणाली में घोर अनियमितता है. जिस पर सरकार को तत्काल ध्यान देने व जांच हेतु आवश्यक कदम उठाने चाहिये.
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