Jamshedpur (Sunil Pandey) : डीसी मैडम माता-पिता इस दुनिया में नहीं है, बड़ी कठिनाई से बीएड तक पढ़ाई पूरी की है. किस्मत का मारा हूं. दोनों पैर से दिव्यांग हूं. भाई के साथ रहकर किसी तरह अपना गुजर बसर कर रहा हूं. अब भाई भी ठीक से मेरी देखभाल नहीं कर रहा है. राशन कार्ड भी नहीं है. मुझे एक अदद सरकारी नौकरी दिवला दीजीए. जिससे मेरा गुजर-बसर ठीक से हो सके. यह कहना है जिला मुख्यालय से 50-60 किलोमीटर सुदूर झांटीझरना पंचायत के भमराडीह गांव के रहने वाले कुड़ा मार्डी का. कुड़ा मार्डी की लाचाही ऐसी है कि वे स्वयं ठीक से चल नहीं पाते. किसी के सहारे ही वे चल पाते हैं. इन दिनों काफी कठिनाई से उनका जीवन यापन हो रहा है. आगे की जिंदगी ठीक से कट सके इसी आशा में कुड़ा मार्डी सोमवार को उपायुक्त से मिलने उनके साप्ताहित जनता दरबार में आए थे. लेकिन संयोग ऐसा था कि पोटका में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में उपायुक्त के चले जाने के कारण कुड़ा मार्डी से उनसे मुलाकात नहीं हो सकी. अंत में कुड़ा मार्डी ने उपायुक्त के नाम संबोधित नियोजन से जुड़ा आवेदन पत्र प्राप्ति शाखा में जमा करा कराकर अपने गांव लौट गए.
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कई बार लगाया प्रखंड कार्यालय का चक्कर
इसे व्यवस्था की लाचारी कहें या उदासीनता लेकिन इस दिव्यांग पर शासन-प्रशासन की नजरे इनायत क्यों नहीं हुई. दो चरणों में जिले में आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित हुआ. घर-घर इसका प्रचार-प्रसार कराया गया. लेकिन इस दिव्यांग की पीड़ा शासन-प्रशासन तक क्यों नहीं पहुंची. अंततः 60 किलोमीटर चलकर उन्हें जिला मुख्यालय आना पड़ा. कुड़ा मार्डी ने बताया कि अपनी बातों को उन्होंने कई बार प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों के समक्ष रखा. लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. अनुसूचित जनजाति से आने वाले कुड़ा मार्डी की योग्यता को देखते हुए इन्हें तत्काल नियोजन दिया जा सकता है. लेकिन व्यवस्था की लाचारी कहें या उचित फोरम तक इनकी आवाज नहीं पहुंचना. खैर डीसी के दरबार में कुड़ा मार्डी ने हाजिरी लगा दी है. ज्यादा संभावना है कि जिला की प्रधान होने के नाते कुड़ा मार्डी की बदहाल व्यवस्था में सुधार हो. कुड़ा मार्डी को उपायुक्त कार्यालय तक पहुंचाने में झामुमो महिला मोर्चा की रजनी दास का सहयोग रहा.
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उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र रहा है झांटीझरना
घाटशिला प्रखंड का झांटीझरना पंचायत जिला एवं प्रखंड मुख्यालय से काफी दूर पड़ता है. वहां आज भी सुविधाओं का घोर अभाव है. कभी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा झांटीझरना आज नक्सल मुक्त तो हो गया है. लेकिन सरकार की फाईलों में इसे आज भी अति संवेदनशील श्रेणी का क्षेत्र माना जाता है. वहां का रहने वाला कुड़ा मार्डी शिक्षा उच्च शिक्षा प्राप्त कर दूसरों के लिए मिशाल बन गया है. कुड़ा मार्डी ने बताया कि वह अपने भाई के साथ रहता है. भाई ने शादी कर ली है. वह कुड़ा मार्डी की जिम्मेवारी उठाने में असमर्थ है.
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