Jamshedpur (Sunil Pandey) : जिले में फाइलेरिया उन्मुलन की शुरुआत शुक्रवार को हुई. उपायुक्त विजया जाधव ने इसकी दवा (डीईसी एवं अल्बेंडाजोल) खाकर की. मौके पर सिविल सर्जन डॉ. शाहिर पाल एवं स्वास्थ्य विभाग की टीम मौजूद थी. 16 से 30 सितंबर तक शहरी क्षेत्र में अभियान चलाकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया जाएगा. शहरी क्षेत्र में सभी लक्षित आबादी को उक्त दवा खिलाई जाएगी. जिससे फाइलेरिया को रोका जा सके. उपायुक्त ने सभी लोगों से फाइलेरिया से बचाव के लिए डीईसी और अल्बेंडाजोल की गोली खाने की अपील की. इस मौके पर उप विकास आयुक्त प्रदीप प्रसाद, सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सत्या ठाकुर ने भी डीईसी व अल्बेंडाजोल की गोली खाकर जनसाधारण से इसके सेवन की अपील की. फाइलेरिया रोग उन्मूलन हेतु जमशेदपुर शहरी क्षेत्र में MDA-2022 कार्यक्रम दिनांक 16 सितम्बर 2022 से 30 सितम्बर 2022 तक चलाया जाना है. जिसमें सभी जनमानस को उम्र के अनुसार डीईसी० एवं अल्बेन्डाजॉल की दवा की एक खुराक खिलाया जाना है. 17 से 30 सितंबर तक स्वास्थ्य कर्मी द्वारा घर-घर जाकर अपने समक्ष सभी लक्षित आबादी को खिलाई जाएगी यह दवा पूर्णता सुरक्षित है.
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गर्भवती महिलाओं एवं एक वर्ष से छोटे बच्चों को नहीं देनी है दवा
फाइलेरिया की रोकथाम की दवा गर्भवती महिलाओं एवं एक वर्ष से छोटे बच्चों को नहीं दी जानी है. दो वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों क मात्रा के हिसाब से दवा की जानी है. सिविल सर्जन डॉ. शाहिर पाल ने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बिमारी है जिसकी वजह से प्रभावित अंगों जैसे हाथ पाँव (हाथीपाँव) का फूलना और हाइड्रोसिल होता है. यह एक वूचेरिया बैन्क्रापटी रोगाणु की वजह से होता है जो क्यूलेक्स मच्छर के द्वारा फैलता है. क्यूलेक्स मच्छर जमे हुए गंदे पानी में पैदा होते हैं.फाइलेरिया का उपचार डीईसी गोली के द्वारा किया जाता है जो एक बहुत ही कारगर दवा है. यदि सभी व्यक्तियों को डीईसी, आइभरमेक्टीन एवं अलबेण्डाजोल गोली की एक खुराक वर्ष में एक बार खिलायी जाये तो 80 से 90 प्रतिशत तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया की दवा किसी भी स्थिति में खाली पेट नहीं ली जानी चाहिए.फाइलेरिया के रोगाणु अपने पूरे जीवन काल में करोड़ों माइक्रोफाइलेरिया रोगाणुओं को जन्म देते हैं. दवा वितरण के प्रत्येक अभियान के द्वारा माइक्रो फाइलेरिया के रोगाणुओं को समुदाय में फैलने से रोका जा सकता है, जिससे मच्छरों के द्वारा अन्य स्वस्थ्य व्यक्तियों को इसके संक्रमण से बचाया जा सकता हैं.
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