Jamshedpur : दलमा बुरू सेंदरा समिति की ओर से प्रत्येक वर्ष मनाया जाने वाला विशू शिकार पर्व आज दलमा वन्य क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान कई छोटे जानवरों एवं पक्षियों का शिकार किया गया, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया. दूसरी ओर वन्य विभाग ने विशू शिकार पर्व मनाए जाने की बात कही, लेकिन दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र में किसी भी जानवर का शिकार किए जाने से इंकार किया.
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दलमा के वन्य प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचाया गया: उप वन संरक्षक
उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक, गज परियोजना, जमशेदपुर ने बताया कि विभाग की जागरूकता एवं तत्परता से शिकार पर्व आयोजित हुआ, लेकिन किसी भी जानवर का शिकार नहीं किया गया. विभाग की ओर से दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम एवं अन्य लोगों से यह आग्रह किया गया था कि वे पारंपरिक शिकार पर्व का आय़ोजन करें. लेकिन किसी भी जानवर का शिकार नहीं करें. विभाग के अधिकारियों को अनुरोध एवं तैयारियों को देखते हुए किसी भी सेंदरा वीर की ओर से दलमा के वन्य प्राणी को नुकसान नहीं पहुंचाया गया.
11 चेकनाकों पर 150 से अधिक वनरक्षी-वनपाल तैनात थे
दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी क्षेत्र के रेंजर दिनेश रंजन ने बताया कि वन्य प्राणियों का शिकार नहीं हो इसके लिये विभाग की ओर से पुख्ता तैयारी की गई थी. इसके लिये 17 रूट चिन्हित किए गए थे. साथ ही 11 चेकनाका बनाए गए था. सभी चेकपोस्ट पर वनरक्षी एवं वनपाल तैनात किए गए थे. साथ ही जिला पुलिस का भी सहयोग लिया गया. वन्य प्राणियों की रक्षा के लिये विभाग की ओर से एक माह से अभियान चलाया जा रहा था.
सेंदरा वीरों को मूवी दिखाकर जागरूक किया गया था: रेंजर
उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी मूवी बनाकर सेंदरा वीरों को दिखाया गया. साथ ही उन्हें इसके प्रति जागरूक किया गया. उन्होंने कहा कि किसी की परंपरा एवं संस्कृति को बाधित करना अथवा रोकना विभाग का काम नहीं हैं. बेशक लोग अपनी संस्कृति एवं परंपरा का निर्वाह करें. जंगलों में जाएं पेड़-पौधों एवं जड़ी बूटियों की पहचान करें कोई रोक-टोक नहीं होगी. लेकिन वन्य प्राणी को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं होगी.
12 मौजा के सेंदरा वीर पहुंचे थे दलमा
दलमा बुरू सेंदरा समिति की मानें तो विशू शिकार पर्व में 12 मौजा के सेंदरा वीर दलमा की तराई में 8 मई को ही पुहंच गए थे. फदलोगोड़ा में विशेष पूजा के साथ ही रातभर नाच गान हुआ. जिसमें पारंपरिक वाद्ययंत्र की धुन पर लोगो ने नृत्य किया. सुबह में अलग-अलग मार्गों से सेंदरा वीर दलमा पर चढ़े.
कई सेंदरा वीर दूसरे मार्ग से पहाड़ पर पहुंचे
हालांकि चेकनाकों पर वनरक्षी एवं वनपाल की तैनाती देखकर कई सेंदरा वीर दूसरे मार्ग से खासकर घने जंगलों के रास्ते पहाड़ पर पहुंचे. जंगली जानवरों के वन्य विभाग की ओर से दूसरी ओर भेजे जाने के कारण उन्हें कोई जानवर हाथ नहीं लगा. सेंदरा समिति के धानो मार्डी ने कहा कि कुछ जानवरों का सेंदरा किया गया है. लेकिन उन्होंने उनका नाम व संख्या नहीं बताया. उन्होंने कहा कि परंपरा का निर्वाह किया गया, जो सफल रहा.
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