Jamshedpur (Sunil Pandey) : दक्षिण-पश्चिमी मानसून की बेरूखी ने पूर्वी सिंहभूम जिले के किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी है. वर्षा नहीं होने से जहां धान की रोपनी बंद है. वहीं खरीफ फसलों की बुआई भी प्रभावित हुई है. इसके साथ-साथ मानसून के दौरान होने वाली सब्जी की फसल भी सुखने के कगार पर पहुंच गई है. कुल मिलाकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीर दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. किसानों में सुखाड़ की चिंता सताने लगी है. जिले में धान की रोपनी का लक्ष्य पिछले वर्ष की तरह 110000 (एक लाख 10 हजार हेक्टेयर) हेक्टेयर भूमि पर रखा गया है. लेकिन जुलाई माह में नगण्य वर्षा के कारण मात्र 5.06 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो पाई है. यही स्थिति अन्य खरीफ फसलों की भी है. खेतों में पानी नहीं रहने के कारण फसलों को बचाना अब किसानों के लिये चुनौती बन गई है. वैसे झारखंड में इस बार मानसून थोड़ा विलंब से पहुंचा. अक्सर 15 जून से मानसून का प्रवेश हो जाता है. लेकिन इस बार 20 जून के बाद इसकी इंट्री हुई. वर्षआ शुरु होते ही किसानों ने सबसे पहले खेतों में धान की बिचड़ा लगाया. जुन माह में रूक-रूककर हुई वर्षा के कारण बिचड़ा जिंदा रहे तथा रोपनी के लिए तैयार हो गए. लेकिन खेतो में पानी नहीं होने के कारण रोपनी ठप्प हो गई. जून माह में सामान्य वर्षापात 247.8 मिलीमीटर की अपेक्षा वास्तविक वर्षापात 87,.4 मिलीमीटर ही हुआ था. जबकि जुलाई माह में 316.4 मिलीमीटर की अपेक्षा अबी तक मात्र 55 मिलीमीटर ही वर्षा हुई है. जो खेती के अनुकूल नहीं है.
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5.28 प्रतिशत ही हो पायी है मक्का की बुआई
जिले में मक्का की बुआई का लक्ष्य 11820 हेक्टेयर भूमि पर निर्धारित किया गया है. जिसमें केवल 624 हेक्टेयर (5.28 प्रतिशत) में ही अब तक फसल लगाई जा सकी है. विभाग का मानना है कि अगर पर्याप्त वर्षा नहीं हुई तो उपरोक्त फसलों को बचाना किसानों के लिये काफी मुश्किल होगा. जिसके कारण निःसंदेह पैदावार प्रभावित होगी. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि अभी धान की रोपनी के लिए पर्याप्त समय है. अगर आने वाले दिनों में वर्षा नहीं होती है तो यह चिंता की बात है. 15 जुलाई के बाद इसका आंकलन करके विभाग को सूचित करेगा. वहीं मक्का की फसल के संबंध में कहा कि अभी शुरुआती दौर है. जुलाई तक मक्का की बुआई होती है.
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दलहन-तेलहन की बुआई भी लक्ष्य से काफी कम
पूर्वी सिंहभूम जिले में खरीफ फसलों में दलहन, तेलहन एवं कुछ मोटे अनाज (ज्वार, बाजरा, मड़ूआ वगैरह) की खेती होती है. दलहन एवं तेलहन की खेती लक्ष्य का 25 प्रतिशत से भी कम हुई है. इसका प्रमुख कारण शुरुआती दौर (जुन माह) में कहीं-कहीं अत्यधिक वर्षा का होना है. जिले में दलहन का लक्ष्य 22 हजार 200 हेक्टेयर भूमि पर लगाने का था. लेकिन अभी तक मात्र 217 हेक्टेयर भूमि पर ही फसल लगी है. इसी तरह तेलहन (मुंगफली, तिल, सोयाबीन, सरगुजा एवं अंडी) की बुआई का लक्ष्य 2650 हेक्टेयर भूमि पर था. लेकिन अभी तक इसकी कहीं बुआई नहीं हुई है.
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खरीफ फसल का लक्ष्य एवं बुआई (सभी आंकड़े हेक्टेयर में)
फसल लक्ष्य बुआई
धान 110000 5568
मक्का 11820 624
दलहन 22200 217
तेलहन 2650 00
मोटे अनाज 1190 00
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