Jamshedpur ( Sunil Pandey) : कुड़मी, कम्हार, तेली, तांती सभी आदिवासी थे. इन सभी को एक साजिश के तहत अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर कर दिया गया. इनकी मांगे एवं आंदोलन जायज है. इन्हें फिर से अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जाय. उक्त बातें झारखंड आंदोलन के नेतृत्वकर्ता रहे पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कही. वे सोमवार को जमशेदपुर के निर्मल गेस्ट हाउस में मीडियाकर्मियों को संबोधित कर रहे थे. प्रेस वार्ता में पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो भी मौजूद थे. सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि कुड़मियों की पारंपरिक एवं सांस्कृतिक पहचान आदिवासी की है. वे प्रारंभ से ही प्रकृति के पुजारी रहे हैं. ऐसे में उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करना न्याय व तर्क संगत है. उन्होंने कहा कि झारखंड बनने के समय 13 जिलों में आदिवासियो का प्रभूत्व एवं जनसंख्या थी. लेकिन आज घटकर वे पांच जिलों में सिमटकर रह गए हैं. ऐसे में अगर कुड़मी, कम्हार, तेली, तांती समेत प्रकृति के पुजारियों को इस सूची में शामिल करना जरूरी हो गया है. जिससे झारखंड में आदिवासियों का प्रतिशत बढ़ सके.
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आठवीं अनुसूची में कुड़माली भी शामिल हो
पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि आदिवासियों की पहचान सरना धर्म है. लेकिन उक्त धर्म को आज तक मान्यता नहीं मिली. जिस तरह संताली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है. उसी तरह कुड़माली को भी उक्त सूची में शामिल किया जाए. साथ ही सरना धर्म को मान्यता प्रदान की जाय. उन्होंने कहा कि झारखंड में लंबे समय से जनगणना एवं परिसीमन नहीं हुआ है. जबकि प्रत्येक 10 वर्ष पर जनगणना एवं 20 वर्ष पर परिसीमन का प्रावधान है. अगर वर्ष 2007 में झारखंड में परिसीमन लागू हो गया रहता तो आज झारखंड में अनूसूचित जनजातियों के लिए रिजर्व सीट में बढ़ोतरी हो गई होती. लेकिन राज्य एवं केंद्र की सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने पुरजोर तरीके से कुड़मियों का बचाव किया तथा जल्द से जल्द इन्हें आदिवासी का दर्जा दने की मांग की.
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वृहद् झारखंड का सपना अधूरा
सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि जिन सपनों को पूरा करने के लिए झारखंड अलग राज्य मिला वह आज तक पूरा नहीं हो पाया. भगवान बिरसा के सपनों का झारखंड कायम नहीं हो सका. अबुआ दिसुम अबुआ राज का सपना आज भी अधूरा है. वृहद् झारखंड की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों की यह मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी. झारखंड केवल बिहार का एक अंश है. जबकि वृहद झारखंड के तहत ओड़िशा के तीन जिले (क्योझर, मयूरभंज, संबलपुर एव सुंदरगझढ़), पश्चिम बंगाल के तीन जिले (पुरूलिया, मेदनीपुर, एवं बांकूड़ा) तथा बिहार का भागलपुर एवं बांका जिला इसमें शामिल नहीं है. इसके लिए आंदोलन तेज किया जाएगा. उन्होने कहा कि वृहद् झारखंड का गठन करने की मांग को लेकर अगले वर्ष मार्च में दिल्ली चलो कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जिसमें आंदोलनकारी एवं प्रतिनिधि राष्ट्रपति एवं गृह मंत्री से मिलकर अपनी मांगों को पूरजोर तरीके से रखेंगे. प्रेस वार्ता में पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो समेत अन्य कुड़मी नेता मौजूद थे.
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