Jamshedpur : कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने जीएसटी कर प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि यह अब एक औपनिवेशिक कर प्रणाली बन गई है, जो जीएसटी के मूल घोषित उद्देश्य “गुड एंड सिंपल टैक्स के ठीक विपरीत है. जीएसटी के तहत 1100 से अधिक संशोधनों और नियमों की शुरुआत ने कर प्रणाली को बेहद जटिल बना दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इज ऑफ डूइंग बिजनेस की मूल धारणा के बिलकुल खिलाफ है. उन्होंने सरकार से जीएसटी कर ढांचे की नए सिरे से समीक्षा कर उसे सरल बनाने की मांग की.
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जीएसटी पोर्टल अब भी कई चुनौतियों से जूझ रहा
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने जीएसटी के वर्तमान स्वरुप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि भारत में जीएसटी लागू होने के लगभग 4 साल बाद भी जीएसटी पोर्टल अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है. अभी तक किसी भी राष्ट्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन नहीं किया गया है. “वन नेशन-वन टैक्स” के मूल सिद्धांतों को विकृत करने के लिए राज्यों को अपने तरीके से कानून की व्याख्या करने की खुली छूट राज्यों को दी गई है. जीएसटी अधिकारियों को किसी भी व्यापारी के जीएसटी पंजीकरण को रद्द करने का मनमाना अधिकार दे दिया है.
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व्यापारियों को नोटिस नहीं दिया जाएगा
इसमें व्यापारियों को कोई नोटिस नहीं दिया जाएगा और सुनवाई का कोई अवसर भी नहीं दिया जाएगा.जो न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत के बिलकुल विरूद्ध है. सोंथालिया ने कहा कि वे वित्त मंत्री के साथ बातचीत के जरिए इन मुद्दों को हल करना चाहते हैं. हम कर आधार को विस्तृत करने, राजस्व में वृद्धि करने में सरकार का साथ देने चाहते हैं, किन्तु कर ढांचे के सरलीकरण और युक्तिकरण को करना पहले जरूरी है.