Jamshedpur : वर्षों से बंद पड़ी इंकैब इंडस्ट्रीज (केबल कंपनी) का मामला एनसीएलटी कोर्ट में विचाराधीन है. 25 मई को एनसीएलटी कोर्ट में केबल कंपनी से संबंधित सात याचिका की सुनवाई होनी है. जिसमें कंपनी के वकील अखिलेश कुमार श्रीवास्तव के पाच एवं आइआरपी पंकज टेबरीवाल के दो याचिका शामिल है. कंपनी के वकील अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आइआरपी पंकज टेबरीवाल की कार्य प्रणाली भी पूर्व आइआरपी शशि अग्रवाल की तरह है. उन्होंने कहा कि पंकज टेबरीवाल ने बिना केबल कंपनी का ऑडिट कराए किस आधार पर क्रेडिर्टस के सभी बकाए को स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कि टेबरीवाल भी वही गलती कर रहें हैं जो गलती शशि अग्रवाल ने किया था. उन्होंने बताया कि कोर्ट से कंपनी का ऑडिट कराने, पंकज टेबरीनाल को हटाने सहित पांच याचिका कोर्ट में दाखिल की गई जिसकी सुनवाई 25 मई को होनी है. केबल कंपनी के कर्मचारियों की निगाहें अब 25 मई की सुनवाई पर टिकी है.
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आईबीबीआई ने पूर्व आइआरपी शशि अग्रवाल की पात्रता समाप्त की
इनसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्ट्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आईबीबीआई) ने इंकैब मामले में शशि अग्रवाल के आइआरपी बनने की अर्हता को सदा के लिए समाप्त कर दिया है. अनुशासनात्मक समिति ने पाया कि शशि अग्रवाल ने लेनदारों के दावों की पुष्टि नहीं की. उन्होंने सीओसी (कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स) की चार बैठकें आयोजित की, वह भी दावों के सत्यापन के बिना.आईआईबीआई ने इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पूर्व आइआरपी और लिक्विडेटर के खिलाफ सुनवाई की, जिसमें इंकैब इंडस्ट्रीज के पुनरूद्धार की प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा कर कमला मिल्स, फस्का और पेगाशस के फर्जी दावों को मंजूर कर उन्हें फर्जी तरीके से कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स में शामिल करने को गलत पाया. आईबीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि यदि शशि अग्रवाल ने लेनदारी के दावों को सत्यापित किया होता तो सीओसी का गठन पूरी तरह से अलग होता.