Jamshedpur (Dharmendra Kumar) : एनसीएलएटी कोर्ट में मंगलवार को एनसीएलटी के चेयरमैन न्यायाधीश अशोक भूषण और तकनीकी सदस्य वरुण मित्र की बेंच में इंकैब कंपनी के मजदूरों द्वारा दायर अपील की सुनवाई हुई. मजदूरों के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव एवं आकाश शर्मा ने बेंच को बताया कि बेंच ने अपने 4 जून 2021 के आदेश में यह कहा था कि पूर्व रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने कानून के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया. उसने लेनदारियों का सत्यापन नहीं किया, गैरकानूनी तरीके से लेनदारों की कमिटी बनाई, कंपनी की परिसंपत्तियां का मूल्यांकन नहीं करवाया, बैंलेंस सीट नहीं बनाई, इन्फारमेशन मेमोरैंडम नहीं बनाई और रमेश घमंडीराम गोवानी के साथ मिलकर धोखाधड़ी से कंपनी के परिसमापन का आदेश पारित करवाया था.
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लेनदारों की कमेटी को अवैध करार देते हुए एनसीएलएटी ने परिसमापन आदेश को किया था निरस्त
अधिवक्ता ने बताया कि उन आधारों पर एनसीएलएटी ने लेनदारों की कमेटी को अवैध करार देते हुए एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के 07 फरवरी 2020 के परिसमापन आदेश को निरस्त कर दिया था. अधिवक्ता ने बेंच को बताया कि एनसीएलएटी के जून 2021 के आदेश की घोर अवहेलना करते हुए नये रिजोल्यूशन प्रोफेशनल पंकज टिबरेवाल ने न केवल देनदारियों का सत्यापन नहीं किया बल्कि लेनदारों की उसी कमेटी को बहाल कर दिया जिसे एनसीएलएटी ने अवैध करार दिया था. अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पंकज टिबरेवाल ने न तो बैलेंस सीट बनाई, न कंपनी की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन करवाया न इनफॉरमेशन मेमोरैंडम बनाया और एक फर्जी एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट जारी कर वेंदांता का फर्जी रिजोल्यूशन प्लान एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के समक्ष दायर करवाया.
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महत्वपूर्ण प्रार्थनाओं के साथ एक नया आवेदन दायर करें – एनसीएलएटी
अधिवक्ता के पक्ष को सुनने के बाद एनसीएलएटी ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एनसीएलटी में दायर दोनों आवेदनों की जगह एक नया आवेदन महत्वपूर्ण प्रार्थनाओं के साथ दायर करनी चाहिए. बेंच ने कहा कि आवेदनों में रिजोल्यूशन प्रोफेशनल द्वारा गैरकानूनी तरीके से सीओसी की नियुक्ति, देनदारियों का सत्यापन नहीं करना, एआरसी और बैंकों द्वारा एनपीए (गैर निष्पादित परिसंपत्तियों) को गैरकानूनी तरीके से प्राईवेट पार्टियों को बेचना और बैलेंस सीट नहीं बनाने जैसे गंभीर मुद्दे उठाए गये हैं जिसे एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी के समक्ष उठाया जाना चाहिए और एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी इन आवेदनों और उसमें की गयी प्रार्थनाओं पर विचार करने के बाद उस पर अपना आदेश पारित करेगी.