Jamshedpur (Vishwajeet Bhatt) : लौहनगरी अब दुर्गा पूजा के उल्लास में उल्लासित होती हुई साफ दिखाई पड़ रही है. 30 सितंबर यानि शुक्रवार को शहर के बड़े पंडालों में शुमार एग्रिको व काशीडीह दुर्गा पूजा पंडालों के पट खुल जाएंगे. वैसे तो शहर में असंख्य पूजा पंडाल हैं, लेकिन कई स्थानों पर दुर्गा पूजनोत्सव बहुत विशाल और भव्य रूप से आयोजित किया जा रहा है. कुछ बड़े पंडालों के पट पंचमी को खुल जाएंगे. कुछ के षष्ठी और कुछ पंडालों के पट सप्तमी को खुल जाएंगे.
इसे भी पढ़ें : चाकुलिया: आजसू नेता फनी भूषण महतो ने किया ढेंगाम में फुटबॉल प्रतियोगिता का उद्घाटन
स्कूलों में शुक्रवार को पढ़ा कर हो जाएंगी छुट्टी
पंडालों के पट खुलने के साथ ही मां दुर्गा के प्रति भक्ति, विशाल व आकर्षक पंडालों के साथ ही मां दुर्गा की मनमोहक प्रतिमाओं के प्रति आकर्षण लौहनगरी के सिर चढ़कर बोलने लगेगा. बच्चे मेलों के लिए मचलने लगेंगे. यह लाजिमी भी है, क्योंकि तमाम निजी व सरकारी स्कूलों में शुक्रवार को पढ़ाई के बाद ही छुट्टियों की घोषणा हो जाएगी. पंडालों में बजते भजन वातावरण को भक्ति रस से सराबोर करेंगे. पंडालों के इर्द-गिर्द और सड़कों के किनारे बड़ी संख्या में खुली खाने-पीने की दुकानें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेंगी. सड़कों पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ेगी.
इसे भी पढ़ें : धनबाद : एसएसएलएनटी कॉलेज की छात्राओं ने ग्रामीणों को समझाया स्वस्थ रहने का तरीका
1906 में पंडाल बनाकर दुर्गा पूजा की हुई थी शुरुआत
जमशेदपुर दुर्गा पूजा केन्द्रीय समिति के सचिव अरुण सिंह ने बताया कि जमशेदपुर में 1906 में कालीमाटी स्टेशन रोड में पंडाल बनाकर दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई थी. 1919 में सार्वजनिक रूप से दुर्गा पूजा रामकृष्ण मिशन बिष्टुपुर एवं घासी क्लब बिष्टुपुर में की गई थी. 1923 में जमशेदपुर दुर्गा पूजा केन्द्रीय समिति की स्थापना की गई थी. इसका उद्देश्य था कि सभी दुर्गा पूजा समितियों और जिला प्रशासन के बीच समन्वय बना कर जमशेदपुर में बेहतर तरीके से पूजा की जा सके.
इसे भी पढ़ें : दुर्गापूजा में जीरो कट बिजली का दावा, शुक्रवार से शटडाउन और मेंटेनेंस कार्य बंद
दुर्गा माता की प्रतिमा राम मंदिर बिष्टुपुर में होती थीं एकत्रित
1925 से पहले भुईयांडीह घाट पर मां दुर्गा की सभी मूर्तियों को विसर्जित किया जाता था. 1925 के बाद जमशेदपुर में दुर्गा पूजा समितियों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए जमशेदपुर दुर्गा पूजा केन्द्रीय समिति ने जिला प्रशासन से घाटों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया. 1977 से पहले जमशेदपुर की सभी दुर्गा माता की प्रतिमा राम मंदिर बिष्टुपुर में एकत्रित होती थीं, फिर वहां से नंबर लेकर अपने-अपने तय घाटों पर विसर्जित होती थीं.
इसे भी पढ़ें : हजारीबाग रेल जोड़ो आंदोलन के बैनर तले 10 अक्तूबर को होगा कार्यक्रम
इस वर्ष जमशेदपुर में लाइसेंसी दुर्गा पूजा समितियों की संख्या हैं 324
1977 से जमशेदपुर की सभी दुर्गा पूजा समितियों की मां दुर्गा प्रतिमाएं बारी मैदान साकची में एकत्रित होने लगीं और वहां से विसर्जन घाट जाने लगीं. 1995 के बाद जमशेदपुर में दुर्गा पूजा समितियों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी को देखते हुए दुर्गा माता की प्रतिमाएं अपने-अपने पंडालों से तय रूट के साथ सीधे नदी घाटों पर जाने लगीं. 1980 में जमशेदपुर दुर्गा पूजा केन्द्रीय समिति की पहल पर 14 विसर्जन घाटों का निर्माण किया गया. इस साल जमशेदपुर में लाइसेंसी दुर्गा पूजा समितियों की संख्या 324 हैं.