Dharmendra Kumar
Jamshedpur : जल के बिना जीवन संभव नहीं है. औद्योगिक नगर जमशेदपुर में भी जल संकट गहराता जा रहा है. लगातार ग्राउंड वाटर लेबल नीचे जा रहा है. लेकिन अब भी भूगर्भ जल का दोहन किया जा रहा है. विकास की सबसे बड़ी कीमत नदियां ही चुका रही हैं. जमशेदपुर की लाइफ लाइन स्वर्णरेखा और खरकई नदी आज स्वयं अपने जीवन के लिये जद्दोजहद कर रही हैं. स्वर्णरेखा और खरकई सुखने के कगार पर है. बरसात के दिनों की बात छोड़ दे तो इन नदियों में इतना भी जल नहीं बचा कि लोगों द्वारा नदी में डाले जाने वाले अपशिष्ट बहा सके.
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नदियों की साफ सफाई के नाम पर अपनी दुकान चलाती हैं संस्थाएं
जब हालात बिगड़ते हैं तो नदी की सेहत की याद आती है और फिर उसको सुधारने के नाम पर पैसा फूंका जाता है. कुछ दिन सफाई के नाम पर भ्रम फैलाया जाता है कि नदी सुधर गई है. लेकिन हालत वही ढाक के तीन पात. कुछ संस्थाओं द्वारा वर्ष में एक बार स्वर्णरेखा महोत्सव मनाकर अपनी जिम्मेवारी की इतिश्री कर ली जाती है. वहीं कुछ संस्था नदी को प्रदूषण मुक्त करने के नाम पर फ़ोटो खिंचाओ अभियान चलाकर नदी को प्रदूषण मुक्त घोषित कर देते हैं. हर कोई जीवनदायनी स्वर्णरेखा का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन स्वर्णरेखा के जीवन की चिंता किसी को नहीं.
15 स्थानों से नदी में गिर रहा कचरा
जमशेदपुर की जीवनरेखा स्वर्णरेखा नदी कचरे से बेहाल है. कंपनी एवं शहर की नालियां सीधे स्वर्णरेखा नदी में गिरती हैं. प्रतिदिन कई टन कचरा स्वर्णरखा नदी में उड़ेला जा रहा है. नदियों को लेकर जिला प्रशासन की गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि नदी में 15 जगहों पर गंदगी नालों के माध्यम से नदी में गिरती है. लेकिन जिला प्रशासन के पास एक भी ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है जिससे नालों की पानी को ट्रीट कर पानी को नदी में प्रवाहित करे.