Jamshedpur : राष्ट्र एवं मनुष्य के लिये उपलब्धियां जरूरी हैं लेकिन उपलब्धियों के साथ जीवन सरस भी होना चाहिए. आज हर परिवार के लोग बच्चों को प्रोफेशनल बनाना चाहते हैं. यह समय की मांग है. लेकिन जीवन सरस अर्थात जीवन में रस का होना भी जरूरी है. साहित्य के बिना जीवन अधूरा है. साहित्य स्पंदन है एहसासों का, साहित्य जीवन को खुशनुमा बना देता है. उक्त बातें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने रविवार को तुलसी भवन में आयोजित अखिल भारतीय साहित्य परिषद के वार्षिकोत्सव समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहीं.
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जो साहित्य हमें विरासत में मिला है उसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता
उन्होंने साहित्य शिल्पकारों से निरंरतर साहित्य की सेवा करने और साहित्य गढ़ने की अपील की. उन्होंने कहा की हमारे विद्वजनों द्वारा जो साहित्य हमें विरासत में मिला है उसको आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हमारा साहित्य भारतीय जीवन दर्शन को प्रतिबिंबित करता है. जमशेदपुर में इस प्रकार के साहित्य समारोह के आयोजन की परंपरा रही है. इससे पूर्व अतिथियों द्वारा दीप जला कर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के वार्षिकोत्सव का विधिवत शुभारंभ किया गया. तत्पश्चात मुख्य अतिथि अर्जुन मुंडा को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया.
परिषद की पत्रिका व शैलेन्द्र पांडे शैल की पुस्तक का विमोचन
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इस अवसर पर परिषद की पत्रिका वाग्यधारा एवं परिषद के अध्यक्ष शैलेन्द्र पांडे शैल द्वारा रचित पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनीता शर्मा ने किया. कार्यक्रम के दूसरे चरण में सूरज सिंह राठौर के संचालन में कवि सम्मेलन का अयोजन किया गया. इस मौके पर ऋषि कुमारी मिश्र, अनिल कुमार सहदेव, लक्ष्मण टुडु, संजय पंकज, अनिल तिवारी, गोविंद दोदराजका, दिनेश्वर प्रसाद दिनेश, मंजु ठाकुर मुख्य रूप से उपस्थित थे.
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