Jamshedpur (Mujtaba Haider Rizvi) : टाटा ग्रुप इसकी आनुषंगिक मेटल और रिसोर्स कंपनियों को टाटा स्टील में समायोजित करने की प्रक्रिया काफी जटिल है. इसमें काफी समय लगेगा. इन अनुषंगी कंपनियों को टाटा स्टील में समायोजित (विलय) करने के लिए कई स्टेक होल्डर्स की मंजूरी लेनी होगी. इसके अलावा लंबी कानूनी प्रक्रिया से भी कंपनी को गुजरना होगा. जानकारों का मानना है कि इन आनुषंगिक कंपनियों के टाटा स्टील में समायोजन में लंबा समय लग सकता है.
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नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में भी जाना होगा
टाटा ग्रुप ने फैसला किया है कि टाटा मैटालिक, टाटा स्टील लोंग प्रोडक्ट्स, टीआरएफ लिमिटेड, टिन प्लेट कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड आदि का टाटा स्टील में समायोजन कर दिया जाए . इसके अलावा, वायर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड और ऐसी माइनिंग कंपनी लिमिटेड का भी समायोजन होना है. इनके टाटा स्टील में समायोजन से पहले शेयर होल्डर्स से भी अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा इनमें निवेश करने वाले और स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारियों की भी स्वीकृति अनिवार्य है. यही नहीं कंपनियों की नियामक अथॉरिटी से भी समायोजन की अनुमति चाहिए. कंपनी मामलों के जानकार राहुल सिंह बताते हैं कि सबसे अंत में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में जाना होगा और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की अनुमति के बाद ही इन कंपनियों का टाटा स्टील में समायोजन हो सकेगा. इस प्रक्रिया को पूरा होने में 1 साल लग सकते हैं.
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कंपनियों के टाटा स्टील में समायोजन को लेकर कर्मचारियों में खुशी
टाटा स्टील मेंं समायोजन की खबर मिलने के बाद टाटा मैटालिक, टाटा स्टील लोंग प्रोडक्ट्स, टिनप्लेट कंपनी आफ इंडिया लिमिटेड समेत अन्य कंपनियों के कर्मचारियों में खुशी की लहर है. कर्मचारी मजदूर नेता राकेश्वर पांडे का कहना है कि इससे इन कंपनियों को फायदा होगा. कंपनियों को कभी आर्थिक परेशानी नहीं होगी. इसके अलावा मजदूरों को भी इसका फायदा मिलेगा.