Jamshedpur (Anand Mishra) : बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग की ओर से वर्चुअल मोड में अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सेवा निवृत्त प्रशासनिक पदाधिकारी डॉ अमिता प्रसाद उपस्थित थीं. विशिष्ट अतिथि के रूप में राजस्थान से कहानीकार, समीक्षक, सदीनामा पत्रिका की सह सम्पादक रेणुका आस्थाना और मुख्य अतिथि के रूप में अमलतास से बीएड कॉलेज की सचिव डॉ रत्ना चौधरी शामिल हुईं. कार्यक्रम की शुरुआत ‘या देवी सर्वभुतेषु ‘श्लोक के वाचन से हुई, जिसे डॉ अरूण सज्जन ने प्रस्तुत किया. बहुभाषीय साहित्यिक संस्था सहयोग की पूर्व अध्यक्ष एवं संस्था की संस्थापक डॉ जूही समर्पिता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विशिष्ट अतिथियों की उपलब्धियों से अवगत करवाया. कर्नाटक कैडर की आईएएस डॉ अमिता प्रसाद, बिहार से यूनाइटेड नेशन्स तक अपनी आवाज उठाने वाली रत्ना चौधरी तथा राजस्थान से कथाकार और समीक्षक रेणु श्री अस्थाना का परिचय सहयोग के शुभचिंतकों से करवाया. सहयोग संस्था की कार्यक्रम समन्वयक डॉ कल्याणी कबीर ने विषय प्रवेश कराया.
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सुधा गोयल ने सशक्त होती नारी की सार्थक छवि प्रस्तुत करते हुए कविता का वाचन किया. विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित मात्र 23 वर्ष की आयु में लोक सेवा आयोग की परीक्षा सफलतापूर्वक पास कर प्रशासनिक अधिकारी बनी डॉ अमिता प्रसाद ने अपने जीवन अनुभव को साझा करते हुए यह संदेश दिया कि स्त्री को स्त्री का साथी बनकर काम करना होगा तभी नारी सशक्तिकरण की बात सार्थक होगी. सहयोग की संरक्षक डॉ रागिनी भूषण ने अहिल्या को माध्यम बना कर अपनी कविता के द्वारा इस सत्य को प्रतिस्थापित किया कि अभिशाप से अहिल्या अभिशापित नहीं हुई, बल्कि इस अभिशाप से पुरूष मानसिकता का ओछापन उजागर हुआ. पुरूष का विश्वास क्षण भर में खंडित हो आदर खोता है. इन्दिरा पांडेय ने ‘दिल है छोटा सा छोटी सी आशा ‘ गीत प्रस्तुत कर बांध दिया. विशिष्ट अतिथि डॉ रेणुका आस्थाना ने अपनी लघुकथा ‘लाल बॉडर वाली साड़ी ‘के माध्यम से यह संदेश दिया कि बेटी मां के सशक्तिकरण में सहयोग देकर कैसे उन्हें सुकून का एहसास करवाती है.
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मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रत्ना चौधरी जो लम्बे समय से लिंग भेद के विरोध में राष्ट्रीय-अन्तराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाती रही हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से अध्यापन के बावजूद बिहार स्थित अपने गांव तिलौथू में आकर बीएड कॉलेज खोलकर बेहतर शिक्षक बनाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं. इनका अनुभव उस तबके की महिलाओं से जुड़ा है, जो निम्न मध्यम वर्ग से सम्बंधित हैं। जिनके परिवार में बेटियों का विवाह और संतानोत्पत्ति शिक्षा से ज़्यादा आवश्यक है. शिक्षा का अलख जला कर बेटियों को अपने पैरों पर खड़े होने का आत्मविश्वास दे रही हैं. सहयोग की अध्यक्ष प्रो.मुदिता चन्द्रा ने कठिनाइयों से लड़ती सफलता हासिल करते हुए आगे बढती जाती महिलाओं की कोशिश को सलाम करते हुए सबके व्यक्तव्य का सार प्रस्तुत किया. सहयोग की सचिव विद्या तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ अनिता शर्मा ने किया. इस अवसर पर सहयोग के साठ से ज़्यादा सदस्य जुड़े हुए थे.