Jamshedpur : देश के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी, सिपाही विद्रोह के नायक अमर शहीद मंगल पांडेय का बलिदान दिवस आज कृति दिवस के रूप में मनाया गया. झारखंड ब्राह्मण शक्ति संघ की ओर से संपर्क कार्यालय बालीगुमा में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान उनकी प्रतिमा के समक्ष मिट्टी के दीप जलाकर संघ के सदस्यों ने उन्हें नमन किया. संघ के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. पवन पांडेय ने कहा कि संघ के आह्वान पर आज शहीद मंगल पांडेय को जगह-जगह श्रद्धांजलि दी गई. उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. उनके बलिदान को व्यापक रूप से देखने और समझने की आवश्यकता है.
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मंगल पांडेय का नाम एक विचार का प्रतीक
उन्होंने कहा कि मंगल पांडेय केवल एक व्यक्ति ना होकर एक विचार हैं. उनकी क्रांति का ही नतीजा है कि लगभग 200 वर्षों की गुलामी के बाद देश के लोगों ने आजादी का मतलब समझा. तब सभी ने संकल्प लिया कि किसी भी कीमत पर अब हमें आजाद होना है. उन्होंने कहा कि 1558 में मंगल पांडेय की क्रांति का इतना बड़ा असर हुआ कि अंग्रेज किसी भी क्रांतिकारी को पांडेय कहकर संबोधित करने लगे. अंग्रेजों ने मंगल पांडेय को लालच दिया था कि वे अपना विरोध वापस ले लें. उनकी सजा माफ कर दी जाएगी तथा उनकी फौज की नौकरी वापस कर दी जायेगी. लेकिन मंगल पांडेय अपने संकल्प से पीछे नहीं हटे. जिसका नतीजा हुआ कि उन्हें फांसी दे दी गई.
निजी स्वार्थ से परे रहकर देश को सर्वोपरी बनाने की आवश्यकता
शहीद सम्मान समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए डॉ. पवन पांडेय ने कहा कि आज देश को मंगल पांडेय जैसी सोच और जज्बे कि आवश्यकता है. समाज में निजी स्वार्थ से परे हटकर देश की सोच को सर्वोपरि बनाने की आवश्यकता है. उन्होंने मंगल पांडेय की सोच और उनकी जीवनी को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की. ताकि देश की आने वाली पीढ़ी देश के लिये त्याग और बलिदान की भावना को आत्मसात कर सके. कार्यक्रम में जितेन्द्र मिश्रा, सुरेन्द्र पांडेय, ओंकारा नाथ मिश्रा, राजीव ओझा, रामानुज चौबे, प्रवीण पांडेय आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे.
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