Jamshedpur (Ashok Kumar) : पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने हेमंत सरकार के कैबिनेट का डोमिसाइल पर आये फैसला को महज छलावा और झुनझुना करार दिया है. यह राजनीतिक ज्यादा है. वास्तविक कम. इसके लागू होने की कोई गारंटी नहीं है क्योंकि प्रस्तावित बिल केंद्र को भेजने और 9वीं अनुसूची आदि में शामिल करने की कवायद अर्थात इसको अंधी गलियारे में धकेलने जैसा है. आदिवासी-मूलवासी जनता को निकट भविष्य में इससे कोई फायदा नहीं मिलेगा. चूंकि यह एक राजनीतिक खेल मात्र है. इसको जनता के हितार्थ ईमानदार प्रयास नहीं कहा जा सकता है. यह राजनीति प्रेरित ब्लेम गेम मात्र है.
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जनता के साथ हुआ है फ्रॉड
मुख्यमंत्री सचिवालय, रांची की ओर जारी विज्ञप्ति संख्या 338/ 2022, 14 सितंबर 2022, झारखंड मंत्रालय, रांची में भी 1932 के खतियान का कोई जिक्र नहीं है. यह जनता के साथ एक फ्रॉड की तरह है.
नया जनांदोलन खड़ा करने की जरूरत
इस समय झारखंडी जनता को झारखंड में नया जन आंदोलन खड़ा करना चाहिए. आदिवासी सेंगेल अभियान की मांग है कि झारखंड में जितनी भी सरकारी-गैर सरकारी नौकरियां हैं, उसका 90% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवंटित किया जाये. उन नौकरियों को प्रखंडवार कोटा बनाकर केवल प्रखंड के आवेदकों से भरा जाए. अन्यथा प्रस्तावित डोमिसाइल नीति कब लागू होगी का पता नहीं है, तो सारी नौकरियां स्थानीय की जगह गैर-स्थानीय हड़प सकते हैं.
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