Jamshedpur (Sunil Pandey) : आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) लांच की है. इसके तहत 47 इकाई में कारोबार शुरु कर बेरोजगार आत्मनिर्भर बन सकते हैं. उक्त योजना में 60 प्रतिशत अंशदान केंद्र सरकार का एवं 40 प्रतिशत अंशदान राज्य सरकार का है. पूर्वी सिंहभूम जिले में मत्स्य को रोजगार रुप में अपनाने वाले बेरोजगार एवं मस्त्य कृषकों से उक्त योजना के तहत आवेदन मांगे गए हैं. जिला मत्स्य कार्यालय में आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर निर्धारित की गई है. जिला मत्स्य पदाधिकारी सह कार्यपालक पदाधिकारी अलका पन्ना ने बताया कि भारत सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है. इसके तहत मछली पालन को रोजगार के रुप में अपनाने वाले लोग आत्मनिर्भर बनकर अपनी आजीविका संचालित कर सकते हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य मछली उत्पादन एवं उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि करना है. इसके लिए विभाग की ओर से इच्छुक लोगों को योजना के क्रियान्वयन के हिसाब से राशि उपलब्ध करायी जा रही है.
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47 योजनाओं के लिए मिलेगी अनुदान राशि
जिला जिला मत्स्य पदाधिकारी सह कार्यपालक पदाधिकारी अलका पन्ना ने बताया कि सरकार ने मत्स्य संपदा योजना के तहत 47 तरह के कार्यों को इसके अन्तर्गत रखा है. हालांकि पूर्वी सिंहभूम में लगभक एक दर्जन योजनाएं क्रियान्वित की जा सकती हैं. इसके लिए पूर्व में लोगों से आवेदन मांगे गए थे. साथ ही आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम के तहत लोगों के बीच जागरूकता बढ़ायी गई थी. जिसके कारण अब तक 17 आवेदन विभिन्न कार्यों के लिए प्राप्त हुए हैं. हालांकि वे लक्ष्य से काफी कम हैं. इसलिए विभाग ने लाभुकों से पुनः आवेदन प्राप्त करने का निर्णय लिया है.
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एसटी-एससी एवं महिलाओं को मिलेगी 60 प्रतिशत की सब्सिडी
जिला मत्स्य पदाधिकारी सह कार्यपालक पदाधिकारी अलका पन्ना ने बताया कि उपरोक्त योजना के तहत कारोबार शुरु करने वाले लाभुकों को सब्सिडी भी प्रदान की जाएगी. अनुसूचित जाति एवं जनजाति लोगों के अलावे किसी भी वर्ग की महिला को योजना के तहत मिलने वाले अनुदान में 60 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाएगी. जबकि सामान्य श्रेणी के लाभुकों को 40 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी. उन्होंने बताया कि आवेदक को सबसे पहले विभाग में अपना पंजीकरण करवाना होगा. उसके बाद आवेदन में कार्यों का पूरा विवरण, जमीन का ब्यौरा, फोटोग्राफ एवं कागजात के साथ आवेदन देना होगा. योजना की मंजूरी मिलने के बाद किश्त में अनुदान राशि का भुगतान लाभुक के खाते में किया जाएगा.
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इन योजनाओं के तहत शुरु कर सकते हैं रोजगार
10 टन झमता वाले शीत गृह (कोल्ड स्टोरेज) अथवा आईस प्लांट के लिए 40 लाख रुपया, मोटरसायिकल के साथ आईस बॉक्स के लिए 75 हजार, छोटे आकार के आरएएस (रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम) की स्थापना के लिए 7,50 लाख, मध्यम आकार के आरएसए इकाई की स्थापना (10 घनमीटर क्षमता वाले आठ टैंक एवं 10 टन मछली उत्पादन के लिए 25 लाख. इसी तरह बड़े आकार के आएसए इकाई की स्थापना के लिए 50 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे. जबकि सजावटी रंगीन मछलियों की रियरिंग इकाई के लिए 7.50 लाख, छोटे बायोफ्लॉक टैंक की स्थापना के लिए 03 लाख, 25 टैंक वाले मध्यम आकार के बायोफलॉक की स्थापना के लिए 25 लाख, नए तालाब के निर्माण के लिए 07 लाख प्रदान किए जाएंगे. इसी तरह मिश्रित मत्स्य पालन, पंगेशियन एवं तिलापिया पालन तथा तालाब निर्माण के लिए 04 लाख रुपया प्रदान किया जाएगा. जबकि लघु फिश फीड मिल (प्रदिदिन दो टन उत्पादन क्षमता) के लिए 30 लाख रुपये अनुदान के रुप में प्रदान किए जाएंगे.
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नया तालाब खुदवाने के लिए सरकार दे रही है 80 प्रतिशत की सब्सिडी
कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग झारखंड में मछली एवं बतख पालन को बढ़ावा देने के लिए तालाब खुदवाने के लिए भारी पैमाने पर सब्सिडी दे रही है. जिससे लोग इस योजना से जुड़कर आत्मनिर्भर एवं रोजगार प्राप्त कर सके. नया तालाब खुदवाने पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लाभुकों को 80 प्रतिशत तथा अन्य को 70 फीसदी की सब्सिडी मिल रही है. उक्त योजना के तहत प्रति एकड़ पांच लाख रुपये दिए जा रहे हैं. इसी तरह राज्य सरकार की मत्स्य पालन योजना के तहत मछली एवं बतख केलिए 1.53 लाख (यूनिट कॉस्ट) एवं झींगा पालन के लिए 1.60 लाख दिए जा रहे हैं. इसके अलावे रंगीन मछली पालन के इच्छुक महिला समूह को टैंक, मछली का जीरा एवं अन्य उपकरण प्रदान किए जाते हैं.
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पांच लाख का दुर्घटना बीमा दे रही है सरकार
मत्स्य कृषकों एवं मछुआरो को वगैर किसी तरह के प्रिमियम का भुगतान किए राज्य सरकार पांच लाख रुपये का दुर्घटना बीमा दे रही है. जिला मत्स्य पदाधिकारी सह कार्यपालक पदाधिकारी अलका पन्ना ने बताया कि जिले में लगभग 23 हजार मत्स्य कृषक हैं. जिनमें 2135 ने ही बीमा कराया है. इसके लिए विभाग की ओर से निरंतर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बीमा हो जाने पर बीमार्थी की मृत्यू होने की स्थिति में आश्रित को पांच लाख रुपये तथा अपंग होने की स्थिति में 2.5 लाख रुपये प्रदान किए जाते हैं.
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