- इक्वीटी, इकोनॉमी एवं इकोलॉजी पर ध्यान देने की जरूरत: डॉ. सोमक विश्वास
Jamshedpur (Sunil Pandey) : देश की जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. आजादी के बाद 1950 में देश की जनसंख्या 2.5 बिलियन थी, वर्तमान में 8.। बिलियन है, जबकि 2030 में यह 8.5 बिलियन हो जाएगी. उक्त बातें कोलंबस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. सोमक विश्वास ने कही. वे गुरुवार को विश्व जनसंख्या दिवस के उपलक्ष्य में जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय में आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. परम्परागत अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इसमें थ्री-ई (इक्वीटी, इकोनॉमी एवं इकोलॉजी) का काफी महत्व है. इसपर ध्यान केन्द्रित करने की जरूरत है. जनसंख्या में वृद्धि होना आज बड़ी समस्या बनकर उभर रही है. जिसके तहत भोजन, पलायन की समस्याएं सामने आ रही है. उन्होंने बताया कि सतत विकास को ऐसे विकास के रूप में परिभाषित किया जाता है जो भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किए बिना वर्तमान पीढ़ी की जरूरतों को पूरी करता है.
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जनसंख्या को प्रोडक्टिव बनाने की जरूरत : कुलपति
प्रो० डॉ अंजिला गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि 1987 में कुल जनसंख्या 5 अरब थी और वर्तमान समय में जनसंख्या बढती ही जा रही है. यदि विकसित देशों से तुलना करें तो भारत में युवा जनसंख्या ज्यादा है. दूसरी जगहों में बुर्जुगों की संख्या ज्यादा है. युवा जनसंख्या में 5 प्रतिशत तक ही शिक्षित है. बेरोजगारी बढ़ने से समाज में अव्यस्था उत्पन्न होती है. कई चुनौतियां जैसे नक्सलवाद, बेरोजगारी की समस्या सामने आती है. इस जनसंख्या को कैसे प्रोडक्टिव बना सकें इस पर विचार करना जरूरी है. विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य इसको कैसे संतुलित किया जाए एवं समाज को कैसे जागरूक किया जाए होना चाहिए.
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विश्व जनसंख्या में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है
पटना विश्वविद्यालय की डॉ पुष्पा ने अपने वक्तव्य में कहा विश्व जनसंख्या में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है. इससे संबंधित कई चुनौतियों को उन्होंने साझा किया. इस दौरान छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ किश्वर आरा, प्रोक्टर डॉ सुधीर साहु, कुलसचिव राजेन्द्र जयसवाल एवं अध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग डॉ रत्ना मित्रा पीएचडी स्कॉलर सुश्री सुमेधा, श्वेता सिंह, सुश्री ऋतुराज एवं सुश्री साई भारती ने अपने पत्र प्रस्तुत किए. धन्यवाद ज्ञापन अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ रत्ना मित्रा द्वारा किया गया. मंच संचालन सुश्री सिमरन एवं सुश्री ने किया. इस अवसर पर डॉ कामिनी, अमृता कुमारी, डीओ सलोमी कुजूर, डॉ अनुराधा, डॉ शहला जबीन, डॉ अर्पणा, डॉ श्वेता, डॉ केया, तपन, विश्व नाथ राव, अर्पण अन्य शिक्षकगण एवं छात्राएं उपस्थित थीं. कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ.
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