Jamshedpur (Dharmendra Kumar) : डीबीएमएस कॉलेज में शनिवार को “सर्वांगीण विकास का पर्याय है समावेशी शिक्षा” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में समावेशी शिक्षा की समग्र व्याख्या की गई. संगोष्ठी में डीबीएमएस ट्रस्ट के उपाध्यक्ष कमला सुब्रमण्यम, ग्लोबल अकादमी के प्राचार्य लीना अदेसरा, विशेषज्ञ श्वेता चांद तथा जीविका संस्था के संस्थापक सुखदीप कौर ने मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चों की शिक्षा तथा उनके सही मार्ग-दर्शन पर अपने विचार रखे. लीना अदेसरा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि समय के साथ समाज में जागरूकता आयी है और अब माता पिता अपने बच्चों की कमियों को पहचान कर उन्हें उचित शिक्षा दे रहे हैं. समावेशी शिक्षा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी बहुत महत्व दिया गया है.
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स्लो लर्नर्स से सब्र के साथ पेश आएं शिक्षक
साधारण बच्चों के साथ-साथ जब हम दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देते हैं तब उनका विशेष रूप से शिक्षिका को ध्यान रखना होता है ताकि उनमें किसी प्रकार की हीन भावना विकसित ना हो. उन्हें समान अवसर प्रदान करना शिक्षकों का दायित्व है ताकि हर छात्र का सर्वांगीण विकास हो सके. क्योंकि आदर्श शिक्षिका की अमिट छाप बच्चों के व्यक्तित्व पर पड़ती है. वहीं कमला सुब्रमण्यम ने अपने अनुभव के आधार पर बीएड के छात्रों को बहुमूल्य सुझाव देते हुए कहा कि बहुत धैर्य, प्यार और सहानुभूति से विशेष बच्चे का ध्यान रखना चाहिए. श्वेता चांद ने भावुक हो कर अपने अनुभव को विद्यार्थियों के बीच रखा. उन्होंने स्लो लर्नर्स के साथ सब्र के साथ पेश आने की सलाह शिक्षकों दी. सुखदीप ने विशेष बच्चों की अन्य प्रतिभा को संवारने की कोशिश करने पर जोर दिया.
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डॉ. मोनिका उप्पल ने की संगोष्ठी का संचालन
इस दौरान कॉलेज के दोनों सत्र के विद्यार्थियों ने प्रश्नोत्तर के माध्यम से काफी जानकारी प्राप्त की. संगोष्ठी का संचालन डॉ. मोनिका उप्पल ने की. स्वागत भाषण सहायक प्रोफेसर मौसमी घोष दत्ता और गायत्री कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. इस अवसर पर मुख्य रूप से कॉलेज की सचिव श्रीप्रिया धर्मराजन, संयुक्त सचिव उषा रामनाथन, तमिल सेलवी, बाला कृष्णन, प्राचार्या डॉ. जूही समर्पिता, उप प्राचार्या डॉ. मोनिका उप्पल तथा सभी शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित थे.