Jamshedpur (Mujtaba Haider Rizvi) : शिया समुदाय ने सोमवार को पैगंबर अकरम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम और उनक नवासे इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत का गम मनाया. शिया समुदाय के अकीदे के अनुसार पैगंबरे अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम इस्लामिक कैलेंडर सफर महीने की 28 तारीख को इस दुनिया से चले गए थे. इमाम हसन अलैहिस्सलाम की भी शहादत 28 सफर को है. इसी हवाले से जाकिर नगर के इमामबारगाह हजरत अबू तालिब अलैहिस्सलाम में मजलिस हुई और मजलिस के बाद ताबूत निकले. अजादारों ने ताबूत की ज्यारत की. मजलिस मौलाना जकी हैदर ने पढ़ी. उन्होंने पैग़ंबरे अकरम हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की जीवनी पर रोशनी डाली. आशकार नकवी ने नौहा पढ़ा -मौला ए कायनात का नूरे नजर हसन.
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इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत भी बयान की बयान की गई. इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने कहा था कि उन्हें उनके नाना के पास दफन किया जाए. इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम जब इमाम हसन को दफन करने के लिए अपने नाना हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम के रौजे की तरफ लेकर चले तो दुश्मनों ने रोक दिया और कहा कि वह इमाम हसन को हुजूर के पहलू में नहीं दफन होने देंगे. तीर चलाए गए, जो इमाम हसन अलैहिस्सलाम के जनाजे पर लगे. उनका जनाजा जब घर वापस आया तो घर की महिलाओं में कोहराम बरपा हो गया. इम के बदन से तीर निकाले गए और फिर इसके बाद जनाजा जन्नतुल बकी पहुंचा. जहां इमाम हसन को उनकी मां हज़रत फातमा जहरा सलामुल्लाह अलैहा के पहलू में दफनाया गया. मजलिस के बाद प्रोफेसर आले अली और आशकार नकवी ने नौहा पढ़ा.