Dharmendra Kumar
Jamshedpur : शहर के प्रतिष्ठित निजी स्कूलों में नामांकन को लेकर आपाधापी मची हुई है. पहली सूची में जिनके बच्चों का नाम नहीं आया उनके अभिभावक दूसरी सूची जारी होने का इंतजार कर रहे हैं. वहीं कुछ अभिभावक येन केन प्रकारेण एडमिशन करवाने की जुगत में लगे हैं. वहीं स्कूलों द्वारा फीस बढ़ाए जाने से अभिभावकों की परेशानी भी दोगुनी हो गई है. स्कूलों का भी अपना अलग दर्द है. कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास करवा पाने में असमर्थ कई छोटे स्कूल बंद हो गए, बड़े स्कूलों के सामने भी आर्थिक प्रबंधन की समस्या है. ऑनलाइन क्लास से पढ़ाई का गिरता स्तर भी स्कूल व अभिभावक दोनों के लिये चिंता का सबब बना हुआ है.
29 जनवरी को स्कूल जारी करेंगे दूसरी सूची
शहर के प्रतिष्ठित निजी स्कूलों में पहली सूची में जिन बच्चों का नाम आया था उन्हें 28 जनवरी तक नामांकन कराने को कहा गया था. इसके आधार पर स्कूलों द्वारा 29 जनवरी को दूसरी सूची जारी की जाएगी. कई अभिभावकों द्वारा दो या तीन स्कूल में फॉर्म भरा गया था. अभिभावक अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से स्कूलों में बच्चों का नामांकन करवाते हैं. ऐसे में कुछ सीट खाली रह जाती हैं जिसके लिए स्कूल द्वारा दूसरी सूची भी जारी की जाती है.
कोरोना काल में दोहरी मार झेल रहे हैं अभिभावक
कोरोना काल में अभिभावक दोहरी मार झेल रहे हैं. लेकिन उनके दर्द को समझने वाला कोई नहीं है. जहां पिछले दो वर्षों में आमदनी कम हुई है वहीं खर्चे बढ़ गए हैं. स्कूलों द्वारा बढ़ाई गई फीस से अभिभावकों की परेशानी बढ़ी है. प्रत्येक वर्ष स्कूल द्वारा अपनी फीस में बढ़ोतरी कर दी जाती है, जबकि पढ़ाई के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा है. अभिभावक भुवन प्रसाद ने लगातार न्यूज से बात करते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन द्वारा हर साल मनमाने ढंग से फीस में वृद्धि कर दी जाती है. हमारे लिए मजबूरी है बच्चों को पढ़ाना है तो स्कूल की फीस जमा करनी ही होगी. सरकार द्वारा स्कूल को फीस नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया गया था लेकिन स्कूल द्वारा मनमाने ढंग से फीस बढ़ा दिया गया. उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से हमारी आमदनी पहले की अपेक्षा कम हुई है, लेकिन जो जरूरी खर्चे जैसे स्कूल फीस आदि बढ़ गए हैं. हम तो दोहरी मार झेल रहे हैं लेकिन हमारा दर्द सुनने वाला कोई नहीं, ना तो स्कूल प्रबंधन और ना ही सरकार.
स्कूलों ने की फीस में वृद्धि
कोरोना काल ने जहां लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा फीस में वृद्धि किया जाना समझ से परे है. इस संबंध में टैगोर एकेडमी की प्रचार्य एम. मजूमदार ने लगातार न्यूज से बात करते हुए बताया कि स्कूल प्रबंधन द्वारा बढ़ती महंगाई को देखते हुए नियमानुसार ओवर ऑल फीस में महज 10% की ही वृद्धि की गई है. उन्होंने बताया कि 2021 में नर्सरी एडमिशन कुल फीस 10,540 रुपये था जबकि 2022 में कुल फीस 11,390 रुपये है. उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों में अभिभावकों द्वारा नियमित रूप से फीस जमा नहीं करने से स्कूल पर भी आर्थिक प्रबंधन का अतिरिक्त दवाब बढ़ा है. इसके बावजूद हमने किसी बच्चे को उसकी शिक्षा से वंचित नहीं किया. वहीं अगर शहर के कुछ अन्य स्कूलों की बात करे तो हिलटॉप स्कूल द्वारा कुल फीस में मात्र 1.34% की वृद्धि की गई है. 2021 में कुल फीस 12,650 रुपये था जबकि 2022 में फीस वृद्धि के बाद कुल फीस 12,820 रुपये है. डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल द्वारा 7.59 % की वृद्धि की गई है. 2021 में कुल फीस 19,375 रुपये था जबकि 2022 में कुल फीस 20,845 रुपये है
फीस बढ़ाने के क्या है प्रावधान
झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 में यह प्रावधान है की प्रत्येक स्कूलों में फीस समिति का गठन करना है. 10% तक फीस वृद्धि के लिए स्कूल फीस समिति से और 10% से ज्यादा फीस वृद्धि के लिए जिला फीस समिति से सहमति लेना अनिवार्य है. लेकिन शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों में स्कूल फीस समिति का गठन नहीं हुआ है. जिला फीस समिति गठित है. उपायुक्त समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं. इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक विनीत कुमार ने लगातार न्यूज को बताया कि स्कूलों द्वारा की गई फीस वृद्धि के विरुद्ध नोटिस जारी किया गया है. जिसमें स्कूल प्रबंधन को फीस वृद्धि करने संबंधित जानकारी 29 जनवरी तक विभाग को उपलब्ध करने का निर्देश दिया गया है. संतोषजनक जबाब नहीं प्राप्त होने पर उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.
शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है
कोरोना काल में लगातार स्कूलों के बंद रहने एवं ऑनलाइन हो रही पढ़ाई से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है. मोतीलाल नेहरू स्कूल की प्रचार्य आशु तिवारी ने लगातार न्यूज को बताया कि ऑनलाइन क्लास में प्रत्येक बच्चे का केयर करना उस तरह संभव नहीं है जैसा कि क्लासरूम की पढ़ाई में होता है. उन्होंने स्वीकार किया पिछले दो वर्षों में ऑनलाइन के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है. स्कूल द्वारा ली जाने वाली ऑनलाइन परीक्षा में बच्चे नकल करते हैं. वहीं गूगल से उन्हें जो जानकारी मिलती है वह आधी अधूरी रहती है जो कहीं न कहीं बच्चों के भविष्य के लिये ठीक नहीं है. ऑनलाइन क्लास का बच्चों पर बहुत बुर प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन क्लास कभी भी ऑफ़लाइन या क्लासरूम पढ़ाई का पूरक नहीं हो सकता है.
ऑनलाइन क्लास में स्मार्ट बोर्ड का नहीं किया जाता है प्रयोग
ऑनलाइन क्लास में स्कूल की टीचर द्वारा मोबाइल से ही क्लास लिया जाता है. जबकि लगभग सभी बड़े निजी स्कूलों में स्मार्ट क्लास हैं, जहां स्मार्ट बोर्ड होते हैं. जिसके माध्यम से ऑनलाइन क्लास की पढ़ाई किए जाने से बच्चों को विषय वस्तु समझने में ज्यादा आसानी होगी. इस संबंध में दयानंद पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल स्वर्णा मिश्रा ने लगातार न्यूज से बात करते हुए बताया कि प्रत्येक वर्ग के लिए ऑनलाइन क्लास में स्मार्ट बोर्ड का प्रयोग करना संभव नहीं है. उतने बड़े आधारभूत संरचना के लिए बहुत पैसे की जरूरत पड़ती है. जबकि कोरोना काल में अभिभावक नियमित रूप से फीस ही जमा नहीं कर रहे हैं. ऐसे में स्कूल प्रबंधन द्वारा ऑनलाइन क्लास के लिए इतनी संख्या में स्मार्ट बोर्ड की व्यवस्था कर पाना संभव नहीं है. उन्होंने स्वीकार किया यदि स्मार्ट बोर्ड के माध्यम से ऑनलाइन क्लास में बच्चे विषय को और बेहतर ढंग से समझ पाएंगे लेकिन ऑनलाइन कभी भी ऑफ़लाइन का विकल्प नहीं हो सकता है. बच्चों के भविष्य पर इसका बहुत ही गलत असर पड़ रहा है.