Jamshedpur : भाजपा के पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू का कहना है कि आदिवासी स्वशासन (माझी परगाना) व्यवस्था में सुधार करना अविलंब अनिवार्य है. अन्यथा आदिवासी समाज में संविधान-कानून और जनतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन जारी रहेगा. कुछ नासमझ व्यक्ति और संगठन प्रथा-परंपरा आदि के नाम पर आदिवासी समाज में नशापान, अंधविश्वास, डायन प्रथा, ईर्ष्या द्वेष, वोट की खरीद-बिक्री, आदिवासी महिला विरोधी मानसिकता, डंडोम (जुर्माना), बारोन (सामाजिक बहिष्कार), डॉन पनते ( डायन खोज ), वंशानुगत माझी-परगाना व्यवस्था आदि को जोर जबरदस्ती चालू रखते हैं. जो संविधान कानून और मानव अधिकारों के खिलाफ है.
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अतएव आदिवासी सेंगेल अभियान केंद्रीय समिति ने 26 मई 2022 को फैसला किया है कि केंद्र और राज्य सरकारों से जिलों के पुलिस-प्रशासन आदि के माध्यम से अविलंब इसके सकारात्मक सुधार की मांग करेगा. सभी जिला पुलिस-प्रशासन और जनतांत्रिक, संवैधानिक मूल्यों के रक्षक नागरिकों और संगठनों का सहयोग लेगा.
पांच राज्यो में धरना-प्रदर्शन करने की है योजना
इस परिपेक्ष में 15 जून 2022 को झारखंड, बंगाल, बिहार, उड़ीसा और आसाम के 5 प्रदेशों के सभी आदिवासी बहुल जिलों के मुख्यालय में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन कर जिला के डीएम/एसपी को सहयोगार्थ ज्ञापन दिया जायेगा. साथ में सेंगेल की ओर से 30 अप्रैल 2022 को इस संदर्भ में प्रकाशित “गुलामी से आजादी की ओर” पुस्तक भी प्रदान किया जाएगा.
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