Jamshedpur (Dharmendra Kumar) : टाटा मोटर्स प्रबंधन ने जमशेदपुर प्लांट के 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों के लिए वोलेंट्री रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) की घोषणा की है. प्रबंधन द्वारा वीआरएस को कर्मचारियों के लिए फायदे का सौदा कहा जा रहा है, जबकि वीआरएस की घोषणा से कर्मचारियों में दहशत है. कर्मचारियों को इस बात की आशंका है कि शुरुआत में यह ऐच्छिक होता है, लेकिन प्रबंधन द्वारा तय किए गए टारगेट पूर्ण नहीं होने पर कर्मचारियों पर दबाव बनाया जाता है. सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि प्रबंधन द्वारा वीआरएस स्कीम की घोषणा पर टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन मौन है.
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टेल्को वर्कर्स यूनियन ने जताई आपत्ति
वहीं इस संबंध में टेल्को वर्कर्स यूनियन के हर्षवर्धन और आकाश दुबे ने वीआरएस पर आपत्ति जतायी है. उन्होंने कहा कि कम्पनी में उत्पादन अच्छा है, कम्पनी घाटे को कवर कर मुनाफा कमा रही है, वर्क ऑर्डर भी इतना है कि पूरा करने के लिए देर रात तक मजदूरों को रुकवा कर काम करवा रही है. ऐसे में वीआरएस क्यों? ऐसा प्रतीत होता है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को जमशेदपुर प्लांट में भी लागू करने का दबाव जो झारखंड हाई कोर्ट द्वारा बनाया गया है, उसी की भरपाई के लिए यह कदम उठाया जा रहा है. कम्पनी का लक्ष्य 1500 पुराने कर्मियों को बाहर कर उसी पैसे में 3000 का स्थायीकरण करने का है.
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पुराने कर्मचारियों को उठाना पड़ेगा स्थायीकरण का नुकसान
हर्षवर्धन ने कहा कि स्थायीकरण का नुकसान पुराने कर्मियों को उठाना पड़ेगा. वर्तमान यूनियन की कमजोर बारगेनिंग क्षमता का परिणाम है कि कम्पनी रोजगार देने के स्थान पर रोजगार कम करने की बात कर रही है. वीआरएस अगर कर्मचारियों के लिए बहुत ही फायदेमंद है तो वर्तमान यूनियन के पदाधिकारियों को वीआरएस लेकर कर्मचारियों के लिए आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए. वर्तमान यूनियन की कोई बारगेनिंग क्षमता नहीं है, बल्कि यह यूनियन प्रबंधन की बी टीम के तौर पर काम कर रही है. इससे हर बार कर्मचारी को केवल नुकसान उठाना पड़ रहा है. जब सभी कंपनियों द्वारा कर्मचारियों को 20 प्रतिशत बोनस दिया गया, वहीं टाटा मोटर्स द्वारा केवल प्रतिशत बोनस दिया गया, जिसे वर्तमान यूनियन ने एक बड़ी उपलब्धि बताया. आज कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट है और यूनियन मौन है.