Ashok kumar
Jamshedpur : वोट पर्व के अंतिम दिन गांव के लोगों को अपने घर से दो किलोमीटर दूर जंगल और पहाड़ी पार करके वोट देने जाना पड़ा. इसमें वृद्ध महिलायें भी पीछे नहीं रहीं. भले ही हाथ में लकड़ी हो, लेकिन उत्साह में किसी तरह की कमी नहीं थी. कुछ इसी तरह की एक वृद्ध महिला सुंदरनगर गोड़ाडीह के प्राथमिक विद्यालय में सुबह 11 बजे वोट डालने के लिये पहुंची. साथ में उसकी बहू भी थी. बहू इस कारण से साथ में चल रही थी कि कहीं वह लड़-खड़ायेगी तो संभालने का काम करेगी.
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80 साल की है रागिनी
महिला रागिनी महतो ने बताया कि उसकी उम्र 80 साल है और वह कभी भी वोट देने से नहीं चुकती है. उसे इधर पांच सालों से ज्यादा परेशानी हो रही है. पहले तो वह खुद ही चलकर बूथ तक जाती थी. यह पूछे जाने पर कि वह किस प्रत्याशी को वोट देगी? उसके पास इसका जवाब नहीं था. वह पढ़ी-लिखी भी नहीं है, लेकिन उसने कहा कि जहां अंगूठा लगाने के लिये कहा जायेगा वह लगा देगी. इस बीच बहू उसे समझाने का भी काम कर रही थी.
कड़ी धूप में भी नहीं डिगा उत्साह
शुक्रवार की बात करें तो सुबह के 7 बजे मौसम का मिजाज थोड़ा सा बदला हुआ था, लेकिन आधे घंटे में ही मौसम साफ हो गया. इसके बाद कड़ी धूप निकल गयी. कड़ी धूप में भी गांव के लोगों को जंगल और पहाड़ी इलाके में दुर्गम रास्ते पर चलते हुये देखा गया. इस बीच उनके उत्साह में कमी भी नहीं आ रही थी. महिलायें छोटे बच्चे को अपने साथ में लेकर पहुंची थी.
जानकारी के अभाव में वोट रिजेक्ट होने का अंदेशा
जो लोग पढ़े-लिखे बिल्कुल ही नहीं हैं, उनके लिये तो वोट देना आसान ही नहीं है. चार पदों के लिये चुनाव हो रहे हैं. इसके लिये चार पर्चा भी दिया जा रहा है. सभी पर्चा में अलग-अलग निशान हैं. निशान देखकर तो स्टांप लगा सकते हैं, लेकिन अधिकांश लोगों ने कहा कि उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि कहां और कैसे स्टांप लगाना है.
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