Jamshedpur : झारखंड में उद्योग एवं प्रशिक्षण केन्द्र को बचाने की बजाए बर्बाद होने के लिए छोड़ दिया जाता है. ऐसा ही जमशेदपुर प्रखंड परिसर में बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केन्द्र है. अविभाजित बिहार में 34 वर्ष पूर्व 1987 में हस्तशिल्प नाम से उक्त केन्द्र की स्थापना हुई. लेकिन किसी कर्मचारी की स्थायी नियुक्ति नहीं हुई. फिर 1990 में जमशेदपुर सहित बिहार के 17 जिलों में बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केन्द्र बना. प्रारंभ में यहां प्रशिक्षण दिया जाता था. लेकिन अब वह भी बंद हो गया है. झारखंड का गठन वर्ष 2000 में हुआ. इसके बाद उक्त केन्द्र में उत्पादन शुरू होने लगा और उसका नाम बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केन्द्र कर दिया गया. झारखंड में उस समय गुमला और जसीडीह में प्रशिक्षण केन्द्र था. जमशेदपुर, रांची, पलामू और दुमका में प्रशिक्षण के साथ उत्पादन भी शुरू हुआ. उत्पादन के लिए चारों जिले में मशीनें भी स्थापित की गईं. प्रशिक्षण के तहत लोगों को वस्त्र बुनाई का सर्टिफिकेट कोर्स कराया गया. कोर्स करने के बाद उत्पादन के लिए भी एक वर्ष का कोर्स कराया गया. लेकिन पूंजी नहीं होने के कारण धीरे-धीरे प्रशिक्षणार्थी कम होते गए. जिसके बाद केंद्र को बंद करना पड़ा. हालांकि कर्मचारियों ने बताया कि 2018 से केंद्र बंद है लेकिन विश्वस्त सूत्रों की मानें तो उक्त केंद्र में 10 वर्षों से प्रशिक्षण और उत्पादन बंद है. इस केंद्र की देखभाल और रखवाली के लिए अलग-अलग केंद्रों से तीन कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है. इसमें विजय कुमार ठाकुर और ज्योति कुमार अनुदेशक हैं, जबकि चंद्रशेखर राम आदेशपाल हैं. तीनों नियमित रूप से बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र आते हैं और अपनी ड्यूटी बजा कर चले जाते हैं
स्टाइपेंड कम मिलता था इसलिए धीरे-धीरे प्रशिक्षणार्थियों की संख्या घटती गई
बुनकर प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र में एक वर्ष के सर्टिफिकेट कोर्स के प्रशिक्षण में दाखिला लेने वालों को 1000 रुपए प्रतिमाह स्टाइपेंड मिलता था. इतनी कम राशि होने के कारण दो वर्ष किसी तरह प्रशिक्षण चला. दो साल में 500 लोग प्रशिक्षित हुए. लेकिन उन्हें पूंजी उपलब्ध नहीं कराई गई, जिसके कारण प्रशिक्षण छोड़ कर चले गए. नाम नहीं छापने की शर्त पर वहां के कर्मचारियों ने बताया कि सरकार की उदासीेनता और विभाग की लापरवाही के कारण यह केंद्र बंद है. अगर यह केंद्र चालू हो जाता है तो इससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा. स्टाइपेंड कम से कम 5000 रुपए मिलना चाहिए, जिससे दिन भर यहां ट्रेनिंग लेने वालों का घर परिवार चल सके।
जीएम ने कहा- 10 वर्ष से नहीं कोरोना के कारण दो वर्ष से बंद है प्रशिक्षण केंद्र
जिला उद्योग केंद्र के जीएम सह बुनकर प्रशिक्षण एवं उत्पादन केंद्र के प्रभारी एसएस बैठा ने बताया कि कोरोना के दौर में प्रशिक्षणार्थियों की भीड़ के चलते प्रशिक्षण बंद किया गया है. दो वर्ष से ही प्रशिक्षण बंद है. 10 वर्षों से बंद होने की बात बेबुनियाद है. प्रशिक्षण केंद्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभाग से पत्राचार किया गया है. उम्मीद है कोरोना का दौर खत्म होने के बाद वहां प्रशिक्षण एवं उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा.