Jamtara : रेलवे ने अधिग्रहित बी क्लास जमीन खाली करने का फरमान जारी किया है. जमीन पर रैयत स्थायी घर बनाकर रह रहे हैं तथा दुकान खोल रखे हैं. रेलवे की फरमान का विरोध रैयतों ने करना शुरू कर दिया है. रैयतों का कहना है कि जमीन पर मालिकाना हक हमारा है. हमलोग जमीन के असली रैयत हैं. रेलवे के फरमान के खिलाफ 7 अगस्त को सुभाष चौक के समीप चैती दुर्गा मंदिर परिसर में जन संघर्ष मंच की बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष वीरेंद्र मंडल ने किया. बैठक में रेलवे के फरमान का विरोध किया गया.
वीरेंद्र मंडल ने लैंड एक्विजिशन नियम का हवाला देते हुए रेलवे की फरमान को नियम विरुद्ध करार दिया. कहा कि ब्रिटिश काल में रेल परिचालन शुरू करने के लिए निर्माण कार्य शुरू किया गया. सामान रखने और पार्किंग के लिए ए क्लास के साथ-साथ बी क्लास जमीन का भी अधिग्रहण किया गया. रैयतों को कहा गया कि रेल परिचालन शुरू होने के बाद जमीन वापस कर दिया जाएगा. रेल परिचालन शुरू होने के बाद रेलवे ने तत्कालीन जिला कलेक्टर को जमीन वापस कर दी. जिला कलेक्टर ने इन जमीनों को अपने विवेक के आधार पर नए पर्चे काटकर रैयतों के बीच बंटवारा कर दिया.
मंडल ने एसपीटी एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि एक्ट में उल्लेख है कि बी क्लास जमीन रेलवे की नहीं हैं. बावजूद इसके रेलवे जमीन खाली करने की फरमान जारी की है. किसी भी सरकारी परियोजना की शुरूआत होने पर अधिगृहित जमीन के बदले मुआवजा रैयतों को दी जाती है. जमीन अधिग्रहण से पूर्व रैयतों को नोटिस भी जारी की जाती है. रेलवे ऐसा नहीं कर जमीन खाली करने का सीधे फरमान जारी किया. बैठक में रैयतों ने जमीन के दस्तावेज भी पेश किए. बैठक में तय हुआ कि रेलवे की फरमान को लेकर मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) से रैयत मुलाकात करेंगे. रेलवे के परेशान करने पर रैयत आंदोलन छेड़ेंगे. बैठक में टिंकू कुमार मंडल, संतोष मंडल, मुख्तार अंसारी समेत अन्य रैयत उपस्थित थे.
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