Jamtara: रेलवे विभाग द्वारा विद्यासागर रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपये खर्च किया गया है. स्टेशन को आकर्षक और भव्य बनाने के उद्देश्य से पार्क पर करोड़ों रुपये खर्च किए गये. लेकिन रेलवे प्रशासन के उम्मीदों पर पार्क का काम खरा नहीं उतर पाया है. विद्यासागर रेलवे स्टेशन के बाहर यात्रियों को मनमोहक वातावरण देने और पर्यावरण संतुलन के लिए पार्क का निर्माण किया गया. कुछ महीने तो पार्क की सुंदरता देखने को मिली थी, जहां पर खूबसूरत पौधे लगाए गए थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद स्थिति यह है कि, पूरा विद्यासागर पार्क एवं विद्यासागर रेलवे स्टेशन के बाहर बने रेलिंग में पौधे पानी के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. इतना ही नहीं आने जाने वाले लोग भी इसे देखकर खुद को कोस रहे हैं. आखिर प्रशासन ने इतने रुपए खर्च किए तो पोधों के लिए पानी की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है.
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शुरुआती गर्मी में ही पार्क बेहाल
उमस भरी गर्मी प्रारंभ होते ही पौधे की हालत बदतर देखने को मिल रही है. पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर के कर्मभूमि माने जाने के कारण विद्यासागर पार्क का निर्माण भी किया गया. जहां पर पंडित ईश्वर चंद्र विद्यासागर की मूर्ति को भी रखा गया है. परंतु जिस पथ पर लोगों की उम्मीद थी कि अब लोग यहां पर आकर भ्रमण करेंगे. साथ ही विद्यासागर के जीवनी के बारे में जानकारी देंगे. परंतु जैसे ही निर्माण के कुछ माह गुजरे कि, हरियाली के साथ-साथ पौधे भी पानी के अभाव में सूखे पड़ गए हैं.
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स्थानीय लोगों का क्या कहना है ?
राजेंद्र मंडल ने बताया कि पंडित ईश्वर चंद्र कर्मभूमि विद्यासागर रेलवे स्टेशन का जिस प्रकार से सुंदरीकरण किया गया है. उसे संजो कर रखना बहुत आवश्यक है. परंतु स्थानीय रेल प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रही है. जिसके कारण विद्यासागर पार्क पूरी तरह से सूखी पड़ गई है.
बासुदेव मंडल ने बताया कि, रेलवे प्रशासन के द्वारा जिस प्रकार से पैसे खर्च किए गए हैं. अगर वह सही रूप से उपयोगी नहीं होते हैं, तो खर्च बेकार है. रेल प्रशासन को पहल करनी चाहिए, जिससे पार्क की रौनक वापस आ सके.
शिव शंकर मंडल ने बताया की, विद्यासागर पार्क में पानी के अभाव के कारण सारे पौधे नष्ट हो चुके हैं. रेल प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता के कारण विद्यासागर पार्क का ये हाल हुआ है.
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