Chandigarh : सिखों की सुप्रीम संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने यह कह कर देश को चौंका दिया है कि किसान आंदोलन की आड़ में कुछ लोग इसे सिख वर्सेज भारत सरकार और सिख वर्सेज हिंदू बनाना चाहते थे. कहा कि पीएम मोदी द्वारा कानून वापसी के फैसले से उनके मंसूबे ध्वस्त हो गये हैं. जत्थेदार ने कहा कि कानून वापस होने से बड़ी राष्ट्रीय विपदा टल गयी है. उनका यह बयान काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि किसान आंदोलन पंजाब से ही शुरू हुआ था. दिल्ली बॉर्डर पर भी सबसे ज्यादा सिख परिवार समेत डटे रहे थे.
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आने वाले समय में देश को नुकसान झेलना पड़ता
जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह का कहना था कि हमारी चिंता थी कि आंदोलन में कुछ ग्रुप ऐसे थे, जो सिख सोच, निशान, फलसफे, इतिहास और भावनाओं को दरकिनार कर रहे थे. उनका आरोप हे कि कुछ ऐसे ग्रुप आंदोलन में थे जो इस संघर्ष को सिखों का भारत सरकार और हिंदुओं के बीच का संघर्ष बनाने की कोशिश कर रहे थे, जिससे आने वाले समय में देश को नुकसान झेलना पड़ता
ज्ञानी हरप्रीत सिंह कहा कि कृषि कानूनों के विरोध की आड़ में कुछ शरारती लोग भाईचारा तोड़ने की कोशिश में लगे थे. कुछ लोग अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कवायद में लग गये थे. कहा कि वह सिख भावनाओं को कमजोर करक सिख इतिहास पर निशाना साध रहे थे. सिख निशान उन्हें चुभ रहा था. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी की जितनी तारीफ हो, करनी बनती है.
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आंदोलन में मौतें हुई , उनका हमेशा अफसोस रहेगा
इस क्रम में जत्थेदार ने कहा कि आंदोलन के दौरान कुछ लोगों की जानें गयी., उनका हमेशा अफसोस रहेगा. इस आंदोलन में विदेशी सिखों का पैसा खर्च हुआ. इस आंदोलन में सिख परिवार के लोग शामिल हुए. सिखों ने आर्थिक मदद और सहूलियत के रूप में जी-जान से इसमें योगदान दिया. हम हमेशा चाहते हैं कि भारत के अंदर सिख अच्छे ढंग से जिंदगी बितायें. हिंदू सिख का रिश्ता मजबूत रहे, इसके लिए हम हमेशा कोशिश करते रहे हैं.
पंजाब में CM सिख हो या हिंदू, यह सेकेंडरी है
जान लें कि इससे पूर्व ज्ञानी हरप्रीत सिंह का एक बयान आया था कि पंजाब में CM सिख हो या हिंदू, यह सेकेंडरी है. पंजाब के पहले हिंदू मुख्यमंत्री नहीं बन पाने के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रधान सुनील जाखड़ ने उनके बयान को ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने कहा कि अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के इन दूरदर्शी शब्दों के लिए इससे बेहतर वक्त नहीं हो सकता था. जब संकीर्ण सोच वाले छोटे लोगों ने हाई पोजिशन पाने के लिए पंजाब को वर्ग, जाति और पहचान के आधार पर बांटने की कोशिश की.