Ranchi : झारखंड में स्वास्थ्य महकमा मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है. झारखंड की मातृ मृत्यु दर 56 और राष्ट्रीय मातृ मृत्यु दर 97 है. जिसे झारखंड सरकार शून्य करने का प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में 64 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 8 करोड़ 20 लाख 48000 की लागत से ब्लड स्टोरेज यूनिट की स्थापना की जायेगी. हर ब्लड स्टोरेज यूनिट पर 8.50 लाख खर्च किये जायेंगे. (पढ़ें, पलामू : अवैध बालू खनन, परिवहन एवं भंडारण को लेकर डीएमओ ने की कार्रवाई)
झारखंड में कुल 194 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं
गौरतलब है कि राज्य में कुल 194 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है. इनमें 124 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लड स्टोरेज यूनिट की स्थापना की स्वीकृति दी जा चुकी है. जबकि छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लड स्टोरेज यूनिट पूर्व से संचालित है. विभाग अब बचे हुए 64 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लड स्टोरेज यूनिट की स्थापना करने की तैयारी कर रही है. 64 केंद्रों में 8 करोड़ 20 लाख 48000 की लागत से ब्लड स्टोरेज यूनिट की स्थापना होगी. जबकि एक ब्लड स्टोरेज यूनिट को बनाने में 8.50 लाख खर्च किये जायेंगे.
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इन जिलों के इतने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लड स्टोरेज यूनिट की होगी स्थापना
जिला | सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लड स्टोरेज यूनिट की स्थापना |
देवघर | 01 |
धनबाद | 01 |
दुमका | 07 |
पूर्वी सिंहभूम | 03 |
गढ़वा | 05 |
गिरिडीह | 03 |
गोड्डा | 02 |
गुमला | 05 |
हजारीबाग | 04 |
जामताड़ा | 02 |
खूंटी | 03 |
कोडरमा | 02 |
लातेहार | 02 |
लोहरदगा | 02 |
पाकुड़ | 03 |
पलामू | 02 |
रांची | 03 |
साहिबगंज | 03 |
सरायकेला-खरसांवा | 04 |
सिमडेगा | 02 |
पश्चिमी सिंहभूम | 05 |
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्लड स्टोरेज यूनिट की स्थापना से बचेगी लोगों की जान
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य उपकेंद्र एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए एक रेफरल अस्पताल के रूप में काम करता है. कई बार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सर्जरी के माध्यम से प्रसव किया जाता है और इस दौरान अचानक ब्लड की जरुरत पड़ती है. रक्त भंडारण इकाई नहीं होने के कारण जिला स्तर पर अवस्थित ब्लड बैंक पर निर्भर रहना पड़ता है और प्रसव के दौरान अचानक ब्लड की आवश्यकता की स्थिति में तुरंत ब्लड उपलब्ध नहीं हो पाता है. जिसकी वजह से प्रसूता की मौत हो जाती है.
दूसरी ओर आसपास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से गंभीर मरीजों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रेफर किया जाता है. जिन्हें तत्काल ब्लड की आवश्यकता होती है. ब्लड के अभाव में मरीजों को जिला अस्पताल अथवा अन्य संस्थान में रेफर करना होता है. इनमें बहुत से मरीज ऐसे होते हैं जिसका उच्चतर संस्थान तक पहुंचाने के पूर्व ही मौत हो जाती है. ब्लड स्टोरेज यूनिट की स्थापना होने से गंभीर मरीजों की जान बचायी जा सकती है.
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