Ranchi: स्वास्थ्य विभाग के अनुदान बजट पर चर्चा करने के दौरान विपक्ष की ओर से भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा किया. भानु प्रताप ने कहा है कि 26 महीने में मंत्री सचिव के झगड़े में राज्य का स्वास्थ्य विभाग बंटाधार हो गया है. कोरोना काल में भी इस झगड़े की वजह से जनता स्वास्थ्य समस्या को झेलती रही और राज्य सरकार सोई रही. भाजपा विधायक ने कहा कि आज जिलों और प्रखंडों में कई भवन बनकर तैयार हैं, लेकिन इसमें डॉक्टर और कर्मी नहीं हैं. अगर खाली भवन, दीवार, छड़ से ही इलाज होता है तो ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था हेमंत सरकार को मुबारक हो.
चिकित्सकों की संख्या की बात करते हुए भानु प्रताप ने कहा कि WHO के मुताबिक राज्य में 7800 चिकित्सकों का होना जरूरी है. लेकिन आज राज्य में मात्र 1800 चिकित्सक हैं. राज्य के तीन नए मेडिकल कॉलेज में आज तक एचओडी की नियुक्ति नहीं की गई है. इसी तरह राज्य में 17178 पारा मेडिकल स्टाफ की कमी है.
भानु ने कहा कि यह राज्य का दुर्भाग्य है कि कोरोना काल मे जब लोग मर रहे थे तब मुख्यमंत्री मुफ्त कफन देने की घोषणा कर रहे थे. इसी अवधि में राज्य सरकार ने खून पर भी टैक्स लगाने का काम किया. कोरोना काल में पूरे देश में मुफ्त खून मिल रहा था, तब झारखंड सरकार 1050 रुपये खून पर भी टैक्स लगाया. कोरोना अवधि में 37.3 % वैक्सीन की बर्बादी झारखंड में हुई.
इससे पहले राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को बद से बदतर बताते हुए भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कटौती प्रस्ताव रखा. इन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार महज 36 प्रतिशत ही राशि खर्च कर पायी. वर्ष 2021-22 में स्वास्थ्य विभाग का बजट 3259 करोड़ का था लेकिन अबतक खर्च सिर्फ 1181 करोड़ ही हुआ. यह आंकड़ा उस समय का है, जब कोरोना राज्य में पीक पर था.
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अनंत ओझा ने कहा कि राज्य में केंद्रीय योजनाओं का भी आज बुरा हाल है. राज्य के अस्पतालों में न तो डॉक्टर हैं और ना ही दवा. राज्य में मुख्यमंत्री आरोग्य योजना हाफ रहा है. पिछले बजट सत्र में यह घोषणा किया गया था कि राज्य में 10 ट्रामा सेंटर स्थापित करेंगे, आजतक काम भी शुरू नहीं हुई है.