Nitesh Ojha
Ranchi : प्रदेश की राजनीति में इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) और चुनाव आयोग (EC) की कार्रवाई से राजनीतिक उफान जोरों पर है. इसी उफान के बीच झारखंड कांग्रेस अब राज्यसभा सीट को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पर प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है. कांग्रेस कोटे के चार मंत्रियों (आलमगीर आलम, डॉ रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख और बन्ना गुप्ता) और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर का एक साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की. इस मुलाकात को प्रेशर पॉलिटिक्स से जोड़ कर देखा जा रहा है. सीएम से मिलने से पहले ही राजेश ठाकुर का यह बयान कि ‘2020 के चुनाव में गठबंधन ने जेएमएम प्रत्याशी शिबू सोरेन को राज्यसभा भेजा था, तो इस बार स्वाभाविक रूप से यह दावा कांग्रेस पार्टी का बनता है’, प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा माना जा रहा है. ( झारखंड की राजनीति से जुड़ी दूसरी खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )
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प्रेशर पॉलिटिक्स के पीछे दिल्ली नेतृत्व का निर्देश माना जा रहा
प्रदेश की वर्तमान राजनीतिक हालत और पिछले 29 माह के शासन में कार्यों को देखते हुए झाऱखंड कांग्रेस ने प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा लिया है. प्रदेश कांग्रेस स्तर के एक बड़े नेता ने बताया कि सीएम और उनके करीबियों पर संवैधानिक संस्थाओं (ईडी और ईसी) का शिकंजा कसता जा रहा है. जेएमएम के अंदर इसे लेकर काफी चिंता है. 70 सालों से राजनीति करने में माहिर कांग्रेसी नेता ऐसे समय में चुकना नहीं चाहते हैं. दिल्ली नेतृत्व का स्पष्ट निर्देश है कि इस बार जेएमएम पर प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिये राज्यसभा में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने पर काम करें.
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जनता और कार्यकर्ताओं से किये कई वादों को कांग्रेस नहीं कर पायी है पूरा
जेएमएम पर कांग्रेस के प्रेशर पॉलिटिक्स को 29 माह के कार्यकाल की स्थिति से भी जोड़ा जा रहा है. कांग्रेसी नेता जानते हैं कि सरकार की 29 माह की अवधि में जनता और अपने कार्यकर्ताओं से किये कई चुनावी वादों को उन्होंने पूरा नहीं किया है. इसके पीछे का कारण सहयोगी जेएमएम की विशेष रूचि नहीं दिखाना बताया जा रहा है. इसमें सबसे प्रमुख कॉमन मिनिमम प्रोग्राम है. इसके अलावा 29 माह की अवधि में बोर्ड – निगम, निगरानी और 15 सूत्री का बंटवारा भी नहीं हो पाया है. इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं सहित पार्टी नेताओं में काफी नाराज है.
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अविनाश पांडे ने तो 4 अप्रैल को अपनी नाराजगी उजागर की थी
इसी नाराजगी की एक परिणति प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे के बीते 4 अप्रैल को दिल्ली में दिये एक बयान से भी झलकी थी. अविनाश पांडे ने दिल्ली में कहा था कि 7 मार्च को ही उन्होंने सीएम को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम और चार्टर्ड ऑफ कोलिएशन (गठबंधन के कुछ नियम) की लिस्ट सौंपी थी, लेकिन आज तक उसपर अमल नहीं हो पाया है. अविनाश पांडे ने यह भी कहा था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस गठबंधन के मुखिया है. कोई भी परिवार का मुखिया यह समझे कि वह अकेला परिवार चला लेगा, तो यह उसकी गलतफहमी है.
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