सीपीएम कार्यकर्ताओं ने मनाई कॉमरेड एके राय की पुण्यतिथि
Hazaribagh : कॉमरेड एके राय की पांचवीं पुण्यतिथि पर शुक्रवार को सीपीएम कार्यकर्ताओं ने उन्हें याद किया और उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की. मौके पर सीपीएम नेता गणेश कुमार सीटू ने कहा कि ईमानदारी व सादगी के प्रतिमूर्ति और मार्क्सवादी शिक्षक राय दा अक्सर कहा करते थे कि झारखंड की असली ऊर्जा है झारखंडी भावना. इसीलिए तमाम झारखंडी नेताओं को खरीद कर भी झारखंड आंदोलन समाप्त नहीं किया जा सका और अंत में अलग झारखंड राज्य का गठन करना पड़ा. अलग राज्य के रूप में झारखंड के गठन के पूर्व भी इस क्षेत्र का विकास हुआ था. बहुत सारे उद्योग धंधे लगे थे. सार्वजनिक क्षेत्र में लगी कुल पूंजी का बड़ा भाग इसी राज्य में लगा. सिंदरी एफसीआई, बोकारो स्टील प्लांट, एचईसी, बीसीसीएल, सीसीएल, डीवीसी, पीएसयू आदि इसके उदाहरण हैं. लेकिन झारखंड बाहर से आये लोगों का चारागाह बनता रहा. झारखंडियों का विकास नहीं हुआ, बल्कि उन्हें विस्थापन, उपेक्षा और शोषण का शिकार होना पड़ा.
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राय धनबाद लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे हैं और झारखंड के एक प्रमुख राजनीतिक दल के रूप में आज स्थापित झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन में शिबू सोरेन और स्व. विनोद बिहारी महतो के साथ उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. फरवरी 1973 में धनबाद के जिस गोल्फ मैदान में झामुमो के गठन की ऐतिहासिक घोषणा हुई थी, उसकी बुनियाद ‘लाल-हरे की मैत्री’ थी. इसमें लाल रंग कॉमरेड राय लेकर आए थे. हालांकि वे पेश से इंजीनियर रहे, लेकिन बाद में पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता बन गए.
इमरजेंसी में एके राय, शिबू सोरेन और बिनोद बिहारी महतो, तीनों जेल में बंद हुए. शिबू सोरेन और बिनोद बिहारी महतो तो जल्दी ही जेल से निकल आए थे, लेकिन कामरेड राय पूरी इमरजेंसी जेल में रहे और जेल में रह कर ही इमरजेंसी के बाद हुए 1977 के संसदीय चुनाव में धनबाद से जीत कर पहली बार सांसद बने और तीन बार सांसद रहे. सांसद होने के बावजूद उन्होंने न कभी वेतन उठाया और न ही पेंशन ली. ऐसे लोगों को आज झारखंड भूल गई है और राय दा और उनके विचारों को भुला कर हम उन्नत, विकसित झारखंड की कल्पना नहीं कर सकते हैं. इस अवसर पर जिला सचिव ईश्वर महतो, गणेश कुमार सीटू, तपेश्वर राम, लक्ष्मी नारायण सिंह, विपिन कुमार सिन्हा, सुरेश कुमार दास, ननकू राम, किशोरी महतो सहित कई लोगों ने भाग लिया.
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