Ranchi : झारखंड हाई कोर्ट के निर्माणाधीन भवन की योजना में अभियंता पर गड़बड़ी का आरोप लगा था. अब इस मामले में निलंबित कार्यपालक अभियंता दीपक कुमार महतो को एक साल के बाद पथ निर्माण विभाग ने आरोप मुक्त कर दिया. पथ निर्माण विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि प्रस्तावित हाईकोर्ट के निर्माणाधीन भवन निर्माण से संबंधित गठित तीन सदस्यीय जांच टीम का जवाब आरोप पत्र के साथ साक्ष्य के रूप में जमा किया गया है. जांच टीम के जवाब में आरोपित अधिकारी दीपक कुमार महतो के खिलाफ अनियमितता और लापरवाही का दोष सिद्ध नहीं किया गया. वर्णित तथ्यों के परिपेक्ष्य में दीपक कुमार के खिलाफ लगाए गए आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं. इसलिए उन्हें आरोप मुक्त और निलंबन मुक्त करते हुए उनके खिलाफ संचालित विभागीय कार्रवाई को निस्तारित किया जाता है. दीपक कुमार पोस्टिंग के लिए पथ निर्माण विभाग में अपना योगदान देंगे.
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14 अभियंताओं को दोषी मानते हुए की गयी थी कार्रवाई
हाईकोर्ट के निर्माणाधीन भवन की योजना में अभियंताओं पर गड़बड़ी का आरोप था. मामले में भवन निर्माण विभाग ने निलंबित तत्कालीन अभियंता प्रमुख रास बिहारी सिंह व सेवानिवृत्त प्रभारी अभियंता प्रमुख अरविंद कुमार सिंह समेत कुल 14 अभियंताओं को अनियमितता का दोषी मानते हुए कार्रवाई की थी. जिनमें आठ अभियंताओं को निलंबित किया गया था. दो पर विभागीय कार्रवाई आदेश दिया गया था. वहीं, सेवानिवृत्त हो चुके एक अभियंता पर पेंशन नियमावली के तहत विभागीय कार्रवायी की गयी है. इसके अलावा छह अभियंताओं को इसी नियमावली के तहत शो-कॉज किया गया है.
इन अभियंताओं पर निलंबन की कार्रवाई हुई थी
मामाले में राजीव कुमार (कार्यपालक अभियंता), दीपक कुमार महतो (सहायक अभियंता), राजू किसपोट्टा (प्रभारी सहायक अभियंता), कनीय अभियंता विजय कुमार बाखला, सुजय कुमार, सरकार सोरेन, मनीष पूरन व अशोक कुमार मंडल पर हुई निलंबन की कार्रवाई.
विभागीय कार्रवाई
जबकि इस केस में रास बिहारी सिंह (निलंबित अभियंता प्रमुख) व राजीव कुमार सिंह (कार्यपालक अभियंता) पर विभागीय कार्रवाई हुई.
कार्रवाई
मामले में प्रदीप कुमार सिंह (सेवानिवृत्त कार्यपालक अभियंता) पर कार्रवाई हुई.
इनसे मांगा गया था स्पष्टीकरण
अरविंद कुमार सिंह (सेवानिवृत्त प्रभारी अभियंता प्रमुख), ज्योतिंद्रनाथ दास (सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता) व सुनील कुमार सुल्तानिया (सेवानिवृत्त कार्यपालक अभियंता) से विभाग ने स्पष्टीकरण मांगा था.
सरकार की अनुमति के बिना बढ़ाते गये लागत
धुर्वा के तिरिल मौजा में बन रहे झारखंड हाइकोर्ट के भवन निर्माण में अनियमितता की शिकायत की गयी थी. कोर्ट में भी इससे संबंधित मामला दर्ज कराया गया था. अधिकारियों और निर्माण करनेवाले ठेकेदार रामकृपाल कंस्ट्रक्शन लिमिटेड की मिलीभगत से वित्तीय अनियमितताओं का आरोप है. शिकायत में कहा गया है कि शुरुआत में हाइकोर्ट भवन के निर्माण के लिए 365 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी. टेंडर के बाद 100 करोड़ घटाकर ठेकेदार को 265 करोड़ में काम अलॉट किया गया. बाद में एस्टीमेट को रिवाइज्ड करके 697 करोड़ कर दिया गया.
मामले में हद तो तब हो गयी, जब बढ़ी राशि के लिए सरकार से अनुमति भी नहीं ली गयी. नया टेंडर भी नहीं किया गया. प्रोजेक्ट में 365 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति थी. जिसमें से ठेकेदार ने इससे 100 करोड़ कम करके 265 करोड़ में काम करने का टेंडर डाला. और बाद में उसी ठेकेदार को काम दे दिया गया. लेकिन बाद में एस्टीमेट को रिवाइज्ड कर 697 करोड़ रुपये का कर दिया गया था.
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