- कहा- विभिन्न राज्यों को कई लाख टन कोयला आवंटित किया है
New Delhi : केंद्रीय उर्जा मंत्री आरके सिंह ने कोयला के चलते बिजली संकट पर राज्य सरकारों को कठघरे में खड़ा किया है. कहा कि हमने विभिन्न राज्यों को कई लाख टन कोयला आवंटित किया है. लेकिन वे इसे नहीं उठा रहे हैं. तो आखिर, किसे दोष दिया जाए. उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य ने भी बिजली संकट की समस्या को खुद खड़ा किया है. हमारे कोयला मंत्री को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कई बार वहां जाना पड़ा है. मालूम हो कि दिल्ली, पंजाब और बिहार समेत देश के 16 राज्य इस वक्त कोयला संकट के दौर से गुजर रहे हैं.
राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लिया
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने राजस्थान सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि राजस्थान जिस कोयला संकट से गुजर रहा है, उसका जिम्मेदार वो राज्य खुद है. राज्य को कैप्टिव कोयला खदानें दी गई हैं. अगर खनन में दिक्कत आई तो यह उनकी समस्या है.
बिजली संकट दूर करने में जुटी सरकार
केंद्र सरकार गंभीरतापूर्वक बिजली संकट से निपटने में जुटी है. कुछ दिनों पहले बिजली की मांग में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि को देखते हुए बिजली मंत्रालय ने सभी आयातित कोयला बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से संचालित करने का आदेश दिया है. आपात स्थिति को देखते हुए, केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने सभी राज्यों और घरेलू कोयले पर आधारित सभी उत्पादन कंपनियों को सम्मिश्रण के लिए कोयले की अपनी आवश्यकता का कम से कम 10 प्रतिशत आयात करने का निर्देश दिया है. मंत्रालय के एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि ऊर्जा के संदर्भ में बिजली की मांग में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. घरेलू कोयले की आपूर्ति में वृद्धि हुई है, लेकिन आपूर्ति में वृद्धि बिजली की बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
कोयला संकट से गुजर रहे कई राज्य
बताते चलें कि दिल्ली, पंजाब और बिहार समेत देश के 16 राज्य इस वक्त कोयला संकट के दौर से गुजर रहे हैं. राजस्थान सरकार ने इस किल्लत को राष्ट्रीय आपदा करार दिया है. पंजाब में बिजली कटौती को लेकर किसानों ने राज्य के बिजली मंत्री हरभजन सिंह के अमृतसर स्थित आवास के बाहर प्रदर्शन किया था. कोयला संकट को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है. पिछले कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि कोयला संकट के लिए मौजूदा मोदी सरकार जिम्मेदार है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि कई राज्य सरकारों ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया है.
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