Ranchi : झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र में प्राइवेट और सरकारी स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक पढ़ रहे करीब 45.3 प्रतिशत बच्चे प्राइवेट ट्यूशन लेते हैं. इसके लिए बच्चे फीस चुकाते हैं. कोरोना महामारी या उसके बाद बच्चों के ट्यूशन लेने के आंकड़ो में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. 2018 में जहां कक्षा 1 से 8 तक के 36.9 प्रतिशत बच्चे प्राइवेट ट्यूशन लेते थे, वहीं 2022 में यह आंकड़ा 45.3 प्रतिशत हो गया. साफ है कि प्राइवेट ट्यूशन लेने की संख्या में 8 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई. यह बात एनजीओ ‘प्रथम’ के द्वारा बुधवार को जारी शिक्षा की वार्षिक स्थिति ‘असर-2022’ रिपोर्ट में हुई है. रिपोर्ट वर्ष 2018 से 2022 के बीच राष्ट्रीय स्तर के साथ झारखंड के 24 जिलों में 720 गांवों के 14,335 घरों में रहने वाले 3 से 16 आयु वर्ग के बच्चों के सर्वेक्षण पर आधारित है.
रिपोर्ट में राज्य के ग्रामीण स्तर की शिक्षा की स्थिति पर आकलन किया गया है. इसमें बच्चों में पढ़ने और गणित व अंग्रेजी को समझने की क्षमता, सरकारी विद्यालयों में नामांकन की स्थिति, विद्यालयों में सुविधाओं की स्थिति का सर्वेक्षण किया गया है.
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1 – नामांकन और उपस्थिति
कुल नामांकन – 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए कुल नामांकन में बढ़ोतरी हुई है. 2018 में यह 97.4 प्रतिशत था, जो 2022 में बढ़कर 98.3 प्रतिशत हो गया. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 98.4 प्रतिशत है.
सरकारी विद्यालयों में नामांकन – झारखंड में यह संख्या 2018 में 78 प्रतिशत था, जो 2022 में 83.3 प्रतिशत हो गया. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 72.9 प्रतिशत है.
अनामांकित लड़कियों का अनुपात – झारखंड में 2008 में 11-14 आयु वर्ग की 3.4 प्रतिशत लड़कियां अनामांकित थी. जो 2022 में केवल 1.2 प्रतिशत हो गया. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 2 प्रतिशत है. वहीं, 15-16 आयु की लड़कियों का आंकड़ा 2018 में 11.2 प्रतिशत और 2022 में 5.2 प्रतिशत था.
प्ले स्कूलों में नामांकन (Early Childhood Education) – 2022 में 3 वर्ष के कुल 77 प्रतिशत बच्चे प्ले स्कूलों यानी किसी न किसी संस्था में नामांकन लिए हैं, जो 2018 की तुलना में 10.1 प्रतिशत ज्यादा है. वहीं 3-5 आयु वर्ग के 2018 में कुल 72 प्रतिशत और 2022 में 68.2 प्रतिशत बच्चे नामांकित हैं.
2 – पढ़ने और गणित में बुनियादी सुविधाएं
A – बच्चों की बुनियादी पढ़ने की क्षमता (सरकारी और निजी स्कूल)
कक्षा 3 – 2018 में कक्षा 3 के 18.7 प्रतिशत बच्चे कक्षा 2 का पाठ पढ़ सकते थे, जो अब 2022 में गिरकर 14.2 प्रतिशत हो गया. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 20.5 प्रतिशत है.
कक्षा 5 – 2018 में कक्षा 5 के 34.3 प्रतिशत बच्चे कक्षा 2 का पाठ पढ़ सकते थे, जो 2022 में बढ़कर 35.6 प्रतिशत हो गया. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 42.8 प्रतिशत है.
कक्षा 8 – 2018 में कक्षा 8 के 66.1 प्रतिशत बच्चे कक्षा 2 का पाठ पढ़ सकते थे, जो 2022 में बढ़कर 65.1 प्रतिशत हो गया. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 69.6 प्रतिशत है.
B – बच्चों के बुनियादी गणित का स्तर
कक्षा 3 – 2018 में कक्षा 3 के केवल 22.5 प्रतिशत बच्चे ही कम से कम घटाव कर सकते हैं, जो 2022 में 22.6 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 25.9 प्रतिशत है.
कक्षा 5 – 2018 में कक्षा 5 के केवल 19 प्रतिशत बच्चे ही भाग कर सकते हैं, जो 2022 में 24.5 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 25.6 प्रतिशत है.
कक्षा 8 – 2018 में कक्षा 8 के केवल 44.4 प्रतिशत बच्चे ही भाग का सवाल हल कर सकते हैं, जो 2022 में बढ़कर 45.6 प्रतिशत है. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 44.7 प्रतिशत है.
C – बच्चों में अंग्रेजी की क्षमता
कक्षा 5 – 2016 में कक्षा 5 के केवल 14.8 प्रतिशत बच्चे ही सरल अंग्रेजी पढ़ सकते थे, जो 2022 में हल्का सुधार करते हुए 15.3 प्रतिशत पहुंचा. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 24.5 प्रतिशत है.
कक्षा 8 – 2016 में इस वर्ग का आंकड़ा, जो 33.7 प्रतिशत था, वह 33.7 प्रतिशत हो गया. राष्ट्रीय स्तर पर यह आंकड़ा 46.7 प्रतिशत है.
कक्षा 3 के वैसे बच्चे जो अंग्रेजी वाक्य को बताने में समर्थ हैं, 2022 में 46.3 प्रतिशत और कक्षा 8 के ऐसे बच्चों का आंकड़ा 2022 में 56.5 प्रतिशत है.
3 – विद्यालयों का अवलोकन (इंस्पेक्शन)
असर रिपोर्ट 2022 में झारखंड के कुल 677 प्राथमिक कक्षाओं वाले सरकारी विद्यालयों का अवलोकन किया गया है.
A – कम नामांकन वाले विद्यालय और मिश्रित कक्षाएं (मल्टीग्रेड क्लासरूम) – झारखंड में इस स्तर के कक्षाओं में बढ़ोतरी हुई है.
जैसे – 2018 में कक्षा 2 के कुल 62.4 प्रतिशत बच्चे एक या एक अधिक कक्षाओं में बैठते थे, जो 2022 में 65.5 प्रतिशत हो गया.
4 – विद्यालयों में सुविधाएं
झारखंड में शिक्षा के अधिकार अधिनियम से संबंधित सभी संकेतकों में मिलने वाले विद्यालयों की सुविधाओं की स्थिति में सुधार हुआ है. जैसे –
मीड डे मील दिए जाने वाले विद्यालय – वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 79 प्रतिशत था, जो वर्ष 2022 में 89.4 प्रतिशत हो गया.
पुस्तकालय की किताबों को उपयोग करने वाले विद्यालय – वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 50.5 प्रतिशत था, जो वर्ष 2022 में 59.1 प्रतिशत हुआ.
बिजली कनेक्शन वाले विद्यालय – वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 78.4 प्रतिशत था, जो वर्ष 2022 में 92.4 प्रतिशत हो गया.
विद्यालयों में खेल का मैदान – वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 39.1 प्रतिशत था, जो वर्ष 2022 में 43.2 प्रतिशत हो गया.
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