Ranchi : झारखंड की राजनीति में इन दिनों आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. भाजपा नेता सीएम हेमंत सोरेन और जेएमएम विधायकों पर कई आरोप लगा रहे हैं. वहीं जेएमएम भी रघुवर दास समेत भाजपा के कार्यकाल में हुए कार्यों की जांच कराने की बात कर रही है. इसी कड़ी में रघुवर काल में बने विधानसभा और निर्माणाधीन हाईकोर्ट में हुई अनियमितता की जांच का निर्देश दिया गया है. यह जांच न्यायिक आयोग द्वारा कराया जाएगा. झारखंड की बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करें…
लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि जिस अनियमितता की बात कर जांच का निर्देश दिया गया है, उसी जांच को करीब 11 माह पहले भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) से भी कराया जाना था. हालांकि उस जांच का रिजल्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हो पाया है. या यूं कहें तो रिजल्ट जीरो है.
1 जुलाई 2021को सीएम ने दिया था जांच का निर्देश,जेएमएम ने कहा था भाजपा डर गई
बता दें कि 1 जुलाई 2021 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नवनिर्मित झारखंड विधानसभा और झारखंड हाईकोर्ट निर्माण कार्य में बरती गई वित्तीय अनियमितता की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से कराने का आदेश दिया था. इसके बाद जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा था कि अपने ऊपर जांच की आंच से भारतीय जनता पार्टी डर गई है. उन्होंने कहा था कि अब एक के बाद एक कई घोटाले उजागर होंगे. हालांकि उस जांच का शायद ही कोई परिणाम सामने आया.
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रिटायर्ड जज से जांच कराने की बात आ रही सामने
अब राज्य सरकार ने नवनिर्मित भवनों में हुई अनियमितता की जांच न्यायिक आयोग से कराने का फैसला किया है. आयोग के अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को बनाने की बात सामने आ रही है. रघुवर दास सरकार के कार्यकाल में बने ये दोनों भवन अपने टेंडर प्रक्रिया से ही विवाद में हैं.
जानिये, किस तरह की हुई थी अनियमितता
अगर हम बात झारखंड विधानसभा की करें, तो अरबों रुपये की लागत से बने इस नवनिर्मित भवन में आग लगने से लेकर सीलिंग गिरने की घटना घटी. इसके अलावा भवन निर्माण में तय प्राक्कलन राशि में बढोत्तरी का मुद्दा भी विवाद का कारण बना. शुरू में इस नये भवन की लागत राशि 465 करोड़ थी, जिसे घटाकर 323.03 करोड़ किया गया. फिर वास्तुशास्त्र का दोष बताकर कुल निर्माण राशि में 136 करोड़ रुपये बढ़ा दिया गया. यानी अरबों खर्च करने के बाद भी नवनिर्मित विधानसभा भवन की मजबूती पर सवाल खड़ा किया गया है.
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धुर्वा में निर्माणाधीन झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन की बात करें, तो शुरुआत में इसकी प्राक्कलन राशि 265 करोड़ रुपये थी. बाद में काम बढ़ता चला गया और इसकी लागत 697 करोड़ तक हो गया. आरोप है कि भवन निर्माण में राशि बढ़ोत्तरी के लिये अनुमति भी नहीं ली गई थी. काम में लेटलतीफ होने से हाईकोर्ट ने कई बार सरकार को फटकार भी लगाया है.