Ranchi: रामनवमी में हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा और सदर विधायक मनीष जायसवाल के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया है. एक ही शहर और पार्टी में रहने वाले विधायक और सांसद ने अपने-अपने बैनर-पोस्टर में एक दूसरे को जगह तक नहीं दी है. अपने-अपने पोस्टरों में दोनों नेताओं ने पार्टी के अन्य नेताओं को जगह जरूर दी है, लेकिन एक-दूसरे को नहीं. इतना ही नहीं ट्विटर पर भी दोनों नेताओं में मतभेद साफ दिख रहा है. विधायक मनीष जायसवाल ने सिर्फ जयंत सिन्हा को छोड़कर बीजेपी के सभी नेताओं के साथ रामनवमी की खुशियां बांटी हैं. अपने हालिया कई पोस्ट में केंद्र से लेकर राज्य के कई बीजेपी नेताओं को टैग किया है. इनमें कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी, रांची सांसद संजय सेठ, दीपक प्रकाश, बाबूलाल मरांडी समेत पार्टी के कई पदाधिकारी शामिल हैं. सिर्फ जयंत सिन्हा ही टैग नहीं हैं.
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रामनवमी जुलूस को लेकर सांसद-विधायक का अलग-अलग था बयान
चर्चा है कि कई वजहों से सांसद और विधायक में मतभेद हैं, लेकिन रामनवमी जुलूस को लेकर दोनों नेताओं का मतभेद खुलकर सामने आया है. दरअसल, जब राज्य सरकार ने रामनवमी का जुलूस निकालने की अनुमति दी तब जयंत सिन्हा ने इसका स्वागत किया था. उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए पत्र भी लिखा और कहा कि इस साल उत्साह और भव्यवता से रामनवमी मनाई जाएगी. उधर विधायक मनीष जायसवाल ने जुलूस को लेकर सरकार की ओर से जारी किये गये निर्देशों का कड़ा विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि रामनवमी जुलूस में परंपरागत तरीके से गाजे-बाजे, ढोल-ताशे के साथ जुलूस 48 घंटे तक सड़क पर रहती है. सरकार की ओर से शाम 6 बजे के बाद जुलूस और डीजे पर रोक लगाया जाना परंपरा को खत्म करने जैसा है.
5 दिन बाद सांसद ने बयान से लिया था यूटर्न
रामनवमी जुलूस को लेकर एक ही पार्टी के सांसद और विधायक के बयान में मतभेद होने से जनता के बीच गलत संदेश जाने से विधायक नाराज थे. मुख्यमंत्री के धन्यवाद देने के 5 दिन बाद जयंत सिन्हा ने भी यू टर्न ले लिया और सोशल मीडिया के जरिये सरकार के बनाए नियम को तर्कहीन बताया. हालांकि इसके बाद भी दोनों नेताओं के बीच की दूरी कम नहीं हुई और अपने-अपने रामनवमी पोस्टर में एक-दूसरे को दरकिनार कर दिया.
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